-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। महिला दरोगा को कमरे में अपने साथ सोने के लिए बुलाने वाले इंस्पेक्टर दुर्गेश मिश्रा के सुर्खियों मे छाने के बाद अब आगरा के पुलिस अधिकारी नींद से जागे हैं। महिला दरोगाओं और महिला कांस्टेबलों के साथ बैठक की जा रही हैं। बैठक में सामने निकल कर आ रहा है कि एसीपी भी प्राइवेट फ्लैट पर रात में ओआर के लिए बुलाते हैं। दुर्गेश मिश्रा कांड से पहले आलम यह था कि लिखित शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं की गई। पश्चिमी जोन के थाने में तैनात एक महिला दरोगा ने भी थानाध्यक्ष के गंदे व्यवहार और रात में परेशान करने की नीयत से बुलाने की शिकायत की थी। इस थानाध्यक्ष पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। एसीपी ने उच्च अधिकारियों को शिकायत से भी अवगत नहीं कराया। अपने ही स्तर से महिला दरोगा का दूसरे थाने में तबादला कर दिया, जबकि एसीपी को तबादला करने का कोई अधिकार ही नहीं है। अब जब एत्माउद्दौला थाने वाला मामला सुर्खियों में आया है तब पुराना मामला भी सामने सुर्खियों में निकलकर आ रहा है।
एक महिला दरोगा पर इंस्पेक्टर दुर्गेश मिश्रा अपने कमरे में साथ सोने के लिए दबाव बना रहे थे। महिला दरोगा को एक बार उन्होंने पकड़ भी लिया था। आरोप है कि जबरदस्ती उसकी किस लेने की भी कोशिश की गई थी। विरोध करने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई थी। मामले में जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद इंस्पेक्टर को निलंबित तो कर दिया गया है, लेकिन उनके खिलाफ अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। इधर लखनऊ तक मामला सुर्खियों में छाने के बाद सोमवार को पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर एसीपी सुकन्या शर्मा ने पूरे जिले की महिला दरोगाओं और मंगलवार को महिला कांस्टेबल को बुलाकर उनके साथ बैठक की। बैठक में उन्हें बताया गया कि उन्हें भी कोई शिकायत है तो वह अपने अधिकारियों को जरूर बताएं। सोमवार की बैठक में कई महिला दरोगाओं ने एक थानाध्यक्ष के व्यवहार की शिकायत की थी। यह थानाध्यक्ष इस समय मजबूत पिलर की तरह जमे हुए हैं। कई अन्य मामले संज्ञान में आने के बाद भी अधिकारी उन पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं कर पाए हैं। चर्चाएं हैं कि एक जनप्रतिनिधि का उन पर हाथ है। बताया जा रहा है कि इस थानाध्यक्ष की चुनाव से पहले उन्हीं के थाने में उन्हीं के बेच की दरोगा ने एसीपी से शिकायत की थी कि थानाध्यक्ष का व्यवहार बहुत गंदा है। बहुत ही गंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। रात में 11:00 बजे मीटिंग रखते हैं और बुलाने के लिए दवाब बनाते हैं। मैंने कहा मेरे बच्चे शहर में रहते हैं। अगर एक घंटे पहले मीटिंग की सूचना मिल जाया करें तो मैं आ जाया करूंगी। मुझे आने में कोई परेशानी नहीं है। मैं ड्यूटी से भी नहीं डरती हूं। इस पर उन्होंने मना कर दिया था। कहासुनी होने के बाद भी रात में ही आने के लिए कई बार दबाव बनाया। महिला दरोगा ने एसीपी से कहा वह उनके व्यवहार से बहुत ज्यादा परेशान हो गई हैं। वह अपने पद का भी दुरुपयोग करते हैं। परेशान करने की नीयत से रात में ही बुलाते हैं। सोमवार को प्रशिक्षु दरोगाओं ने भी इसी बात की इन्हीं थानाध्यक्ष की शिकायत की है। बताया जा रहा है कि चुनाव से पहले की गई महिला दारोगा की शिकायत को एसीपी ने दवा दिया। महिला दरोगा का एसीपी ने खुद ही दूसरे थाने में तबादला कर दिया, जबकि डीसीपी को ही दरोगा का तबादला करने का अधिकार है। इस मामले में डीसीपी सोनम कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया उनके संज्ञान में तो मामला ही नहीं है। उनका कहना है वह इस बात की जानकारी कर रहे हैं कि एसीपी ने अपने स्तर से ही महिला दरोगा का तबादला कैसे कर दिया, उन तक शिकायत को क्यों नहीं पहुंचाया गया।