गौरव प्रताप सिंह
आगरा। सातवें और आखिरी चरण के मतदान के बाद प्रत्याशियों के साथ ही जनता की निगाहें दस मार्च को होने वाली मतगणना पर टिक गई हैं। प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ी हुई हैं। हालांकि सभी प्रत्याशी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।
आगरा की नौ विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो निर्दलीय से लेकर मुख्य दलों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। वहीं जमीनी हकीकत यही है कि कहीं मुकाबला त्रिकोणीय है तो कही दो दलों के बीच।
एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र
एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने डॉ. धर्मपाल सिंह, बसपा ने राकेश बघेल, सपा ने डॉ. वीरेंद्र चौहान, कांग्रेस ने शिवानी बघेल पर दांव लगाया है। चारों ही प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। धर्मपाल सिंह ने बताया कि उनकी जीत सुनिश्चित है। दस मार्च को परिणाम यह बात बता देंगे। वीरेंद्र चौहान का कहना है कि उन्हें पूरी बाइसी के वोट बैंक के साथ सभी वर्ग का वोट मिला है। शिवानी बघेल का कहना है कि वह अकेली महिला प्रत्याशी हैं, उन्हें आधी आबादी ने वोट दिया है। राकेश बघेल का कहना है कि उन्होंने भाजपा का वोट काटा है। ओबीसी समाज का उन्हें पूरा वोट मिला है, उनकी जीत सुनिश्चित है।
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों की बात करें तो वह भाजपा प्रत्याशी डा. धर्मपाल सिंह एवं बसपा प्रत्याशी प्रबल प्रताप सिंह उर्फ राकेश बघेल में रोचक मुकाबला बता रहे हैं। यहां ठाकुर, ब्राह्मण समेत हर वर्ग से डा. धर्मपाल सिंह ने वोट लिया है। वहीं प्रबल प्रताप सिंह जाटव और बघेल वोट को लेकर मजबूत स्थिति में हैं। लोधी, वाल्मीकि, कोली, वैश्य, कुशवाह आदि वोट भाजपा को मजबूत कर रहे हैं। यहां जातीय आंकड़ों पर चुनाव हुआ है।
आगरा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र
इस बार इस सीट पर बड़ी पार्टी से कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं है। भाजपा ने दो बार के विधायक योगेंद्र उपाध्याय को चुनाव मैदान में उतारा था। सपा ने वैश्य प्रत्याशी विनय अग्रवाल को उतारकर भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी थी। वहीं बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी रवि भारद्वाज को उतारा। जाटव, मुस्लिम और कुछ ब्राह्मण वोटों को लेकर बसपा मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस ने यहां अनुज शर्मा पर दांव खेला। तीन ब्राह्मण प्रत्याशी होने से ब्राह्मण वोट बंटा। इसलिए यहां त्रिकोणीय संघर्ष में मुकाबला है। यहां मुस्लिम भाजपा के विरोध में काफी संख्या में बसपा को वोट देकर आए हैं।
डीएलए से बातचीत में योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि 50 प्रतिशत वोट उन्हें अकेले को मिल रहा। बाकी 50 प्रतिशत में अन्य सभी दल हैं। बसपा के रवि भारद्वाज का कहना है कि उन्हें बसपा के वोट बैंक के साथ सर्व समाज का वोट मिला है। वह चुनाव में जीत हासिल कर रहे हैं।
आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र
भाजपा ने यहां से पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मोर्य, सपा और लोकदल से महेश जाटव, कांग्रेस से उपेंद्र सिंह मैदान, बसपा से किरण केसरी मैदान में हैं। यहां भाजपा और रालोद के बीच मुकाबला है। काफी कम अंतर से हार जीत देखने को मिल सकती है। यह सीट जाट बहुल्य है। रालोद प्रत्याशी महेश जाटव जातीय समीकरण के हिसाब से जाट और जाटव तथा यादव मिलाकर मजबूत स्थिति में है लेकिन पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ठाकुर, ब्राह्मण और कुछ जाटव तथा कुछ नॉन जाट पिछड़ों को लेकर टक्कर दे रही हैं। पूर्व विधायक कालीचरन सुमन का समर्थन मिलने से स्थिति मजबूत हुई थी।
डीएलए से बातचीत में बेबी रानी मोर्य ने बताया कि उनकी जीत सुनिश्चित है। वहीं कांग्रेस के उपेंद्र सिंह का कहना है कि प्रशासन बीजेपी के साथ हैं और जनता उपेंद्र सिंह के।
उत्तर विधानसभा क्षेत्र
यह वैश्य बहुल्य सीट है। भाजपा ने यहां मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल को टिकट दिया है। बसपा ने शब्बीर अब्बास, सपा से ज्ञानेंद्र गौतम, कांग्रेस से विनोद बंसल को प्रत्याशी बनाया। इसी सीट पर भाजपा का साढ़े तीन दशक से कब्जा है। राजनीतिक विश्लेषकों की बात करें तो यहां से भाजपा की जीत तय है। वहीं यह भी दावे किए जा रहे हैं कि प्रदेश में इस सीट पर सबसे ज्यादा मतों से जीत हो सकती है।
आगरा छावनी विधानसभा क्षेत्र
भाजपा ने राज्यमंत्री डा. जीएस धर्मेश, सपा ने कुंवरचंद वकील, बसपा ने भारतेंदु अरुण, कांग्रेस ने सिकंदर बाल्मीकि को मैदान में उतारा था। टक्कर भाजपा और सपा के बीच देखने को मिल रही है।
सड़क, पानी आदि के मुद्दे पर कुछ पुराने वोटर्स राज्यमंत्री से खफा थे लेकिन जातिय गणित भाजपा के पक्ष में रहा। कांग्रेस द्वारा यहां सिकंदर वाल्मीकि को चुनाव मैदान में उतारकर भाजपा को मिलने वाले वाल्मीकि समाज के वोट को साधा। जीएस धर्मेश अपनी जीत को लेकर सुनिश्चित हैं। वहीं कुंवर चंद वकील भी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। कुंवर चंद वकील का कहना है कि उन्होंने जाटव समाज का 20 से 25 हजार वोट लिया है। इसके अलावा जो कॉलोनी वाले विकास नहीं होने के चलते डॉ. धर्मेश से नाराज थे, वह वोट भी उन्हें मिला।
फतेहपुर सीकरी विधानसभा क्षेत्र
यह जाट बहुल सीट है और जाट समाज भाजपा और रालोद दोनों में बंटा। चाहरवाटी रालोद प्रत्याशी बृजेश चाहर के समर्थन में नजर आए हैं। वहीं अन्य जाट चौधरी बाबूलाल को सपोर्ट करते नजर आए। ठाकुर वोटर्स यहां निर्णायक भूमिका अदा करेंगे। इस कारण चौधरी बाबूलाल मजबूत स्थिति में हैं। वहीं बसपा प्रत्याशी मुकेश राजपूत ने जाटव और लोधी वोट लिए। कांग्रेस ने यहां हेमंत चाहर को प्रत्याशी बनाया था। चुनाव में उन्होंने कहीं न कहीं रालोद को ही कमजोर किया है।
बाह विधानसभा क्षेत्र
भाजपा प्रत्याशी रानी पक्षालिका सिंह एवं सपा प्रत्याशी मधुसूदन शर्मा के बीच चुनावी मुकाबला है। बाह को जिला बनाने की मांग का मुद्दा पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने उठाया था। अखिलेश यादव के आश्वासन के बाद यहां वोटर्स की मनोदशा में कुछ बदलाव के संकेत मिले। बावजूद इसके भाजपा का वोट बैंक इस सीट पर अधिक है। भाजपा से आए विधायक जितेंद्र वर्मा और सुग्रीव चौहान ने भाजपा प्रत्याशी की मुश्किल थोड़ी बढ़ाई। फिर भी ठाकुर और ब्राह्मण वाटों को साथ लेकर भाजपा प्रत्याशी मजबूत स्थिति में दिखीं। कांग्रेस से मनोज दीक्षित एवं बसपा से नितिन वर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है। नितिन ने निषाद वोट में सेंध लगाकर सपा का थोड़ा बहुत नुकसान किया है।
फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र
भाजपा प्रत्याशी छोटलाल वर्मा एवं सपा प्रत्याशी रूपाली दीक्षित के बीच कांटे का मुकाबला मतदान तक नजर आया। जानकारों के मुताबिक हार जीत का आंकड़ा यहां बहुत कम रहेगा। पूर्व राज्यमंत्री रामसकल गुर्जर अपने समाज के वोट लेकर तथा पूर्व विधायक डा. राजेंद्र सिंह वैश्य एवं ठाकुर मतदाताओं के साथ भाजपा प्रत्याशी की ताकत बने रहे। वहीं रूपाली दीक्षित के लिए ब्राह्मण वोटों का ध्रुवीकरण होने के बाद भी ब्राह्मण समाज का एक हिस्सा बीजेपी के समर्थन में दिखा। बसपा से ठाकुर प्रत्याशी शैलू जादौन, कांग्रेस से होतम सिंह मैदान में थे। बसपा प्रत्याशी को बसपा वोट बैंक के साथ थोड़े बहुत ठाकुरों का वोट भी मिला।
खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र
भाजपा प्रत्याशी भगवान सिंह कुशवाह और कांग्रेस प्रत्याशी रामनाथ सिकरवार के बीच यहां कड़ा मुकाबला है। यहां सिटिंग विधायक महेश गोयल की टिकट कटने से वैश्य मतदाता नाराज थे। वहीं भगवान सिंह कुशवाह के सजातीय बसपा प्रत्याशी गंगाधर कुशवाह उन्हें कमजोर करते रहे। इससे हार जीत काफी कम वोटों से होगी। कांग्रेस प्रत्याशी अपनी छवि के चलते मजबूत स्थिति में रहे। रालोद ने रोहतान सिंह को मैदान में उतारा था। ठाकुर समाज का वोट बंटने के बाद यहां ब्राह्मण वोट निर्णायक भूमिका में रहा। अब देखना होगा कौन जितेगा। भगवान सिंह ने बताया कि उनकी जीत सुनिश्चित हैं। सर्व समाज से उन्हें वोट मिला है।