आगरा। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव और नगर विकास मंत्रालय के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर जीवनदायी नदियों की दुर्दशा सुधारने की गुहार लगाई है। उन्होंने पत्र में लंदन की टेम्स नदी की तरह यमुना और गंगा को नवजीवन प्रदान करने का सुझाव दिया है।
राजा अरिदमन सिंह ने पत्र में लिखा है कि एक ओर यमुना नदी की रोज आरती होती है। उसके जल से श्रद्धालु आचमन करते हैं। वहीं उसी यमुना में शहर के 90 नालों में से 71 नाले सीवर का गंदा पानी घोल रहे हैं। सक्सेरिया नाले से रोज नदी में गिरने वाली दो करोड़ लीटर गंदगी को कैली की जड़ और बालू गिट्टियों से छाना जा रहा है। इसके लिए यमुना नदी में नालियां बनाई गई हैं, जिनसे होकर नालों का पानी यमुना में पहुंच रहा है।
*सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हुए फेल, करोड़ों की बर्बादी*
राजा अरिदमन सिंह ने पत्र में लिखा है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूर्णत: फेल हो गए हैं। शहर में 9 एसटीपी हैं जिनकी ट्रीटमेंट क्षमता 168 एमएलडी सीवर ही ट्रीट हो रही है। 118 एमएलडी यानी 11.80 करोड़ लीटर सीवर और गंदगी यमुना में बह रही है। यह स्थिति तब है जब एसटीपी और नाला ट्रीटमेंट के नाम पर ढाई सौ करोड़ रुपए से अधिक विभिन्न योजनाओं में खर्च हो चुके हैं। सीवर ट्रीटमेंट के नाम पर हर साल 43 करोड़ रुपए निजी कंपनियों को दिए जा रहे हैं, फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
*यमुना एक्शन प्लान की धनराशि का किया बंदरबांट*
राजा अरिदमन सिंह ने पत्र में लिखा है कि यमुना शुद्धिकरण के लिए बने यमुना एक्शन प्लान-1 और यमुना एक्शन प्लान-2 में लगभग 500 करोड़ रूपया दो चरणों में खर्च हो चुका है। उक्त योजना के तहत खर्च की गई धनराशि का अधिकारियों की मिलीभगत से बंदरबांट किया गया है। कितनी सीवर लाइन डाली गई, कितने सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बने तथा कितने पंपिंग स्टेशन बनाए गए, इनका अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है और ना ही कोई लेखा-जोखा है। यही नहीं डीजल बचाने के चक्कर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी नहीं चलाया जाता, जो एक जांच का विषय है।
*कराएं टेक्निकल ऑडिट..*
राजा अरिदमन सिंह ने लिखा है कि यमुना एक्शन प्लान के तहत किए गए कार्यों की वास्तविक स्थिति एवं सत्यता सामने लाने के लिए एक टेक्निकल कमेटी बनाई जानी चाहिए जिसके तहत किए गए कार्यों की समीक्षा के साथ किए गए कार्यों का टेक्निकल ऑडिट यानी भौतिक सत्यापन भी कराया जाए कि आखिर पैसा कहां गया और इसका क्या उपयोग हुआ।
*मंत्री के रूप में मैंने किया था निरीक्षण..*
राजा अरिदमन सिंह ने पत्र में लिखा है कि जब मैं गत सरकार में मंत्री था, उस समय श्री भटनागर आयुक्त आगरा मंडल थे। तब धांधूपुरा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का मैंने स्वयं निरीक्षण किया था। तब इंटैक द्वारा यह प्रस्ताव दिया गया था कि 14 लाख रुपए में साल भर के अंदर संस्था बायोलॉजिकल तरीके से मंटोला नाले को साफ करेगी। परीक्षण पायलट प्रोजेक्ट के तहत था। जल निगम की आपत्ति के कारण यह नहीं हो सका। अगर इंटैक उक्त योजना में सफल हो जाती तो जल निगम को उक्त योजना के तहत योजना बनानी पड़ती। इस मामले में समय-समय पर समाचार पत्रों ने तथ्यात्मक समाचार प्रकाशित किए। उनसे कराए जा रहे कार्य में की गई लापरवाही स्पष्ट दर्षित हो रही है।
*इंटैक को ट्रायल बेसिस पर दें नाला*
राजा अरिदमन सिंह ने लिखा है कि अगर इंटैक को ट्रायल बेसिस पर कोई नाला दिया जाए और उसके परिणाम अच्छे आएं तो उसको कार्य दिया जाए। यह रिकरिंग कॉस्ट है। इसके लिए नई तकनीक का प्रयोग करना चाहिए। पुरानी तकनीक से जल निगम द्वारा यह कार्य असंभव हो रहा है।
*जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच हो समन्वय*
राजा अरिदमन सिंह ने कहा है कि आगरा जैसे ऐतिहासिक शहर का कायाकल्प करने के लिए आवश्यक है कि सरकार द्वारा संचालित योजनाएं मूर्त रूप लें और यह तभी संभव होगा जब सांसदों, विधायकों एवं प्रभारी मंत्री सहित सभी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच समन्वय हो तथा हर तीन महीने पर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की नियमित बैठक हो।
*सरकारी धन का हुआ दुरुपयोग..*
राजा अरिदमन सिंह ने लिखा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हकीकत जानने के लिए 17 फरवरी 2023 को याचिकाकर्ता एमसी मेहता और नीरी की टीम ताजगंज, आगरा पहुंची। नीरी की टीम द्वारा निरीक्षण के दौरान नगर निगम द्वारा कराए गए कार्यों में कई खामियां पाई गईं। साथ ही, जल निगम द्वारा कराए गए कार्यों की समीक्षा भी नीरी की टीम के द्वारा की गई। समीक्षा के बाद सत्यता सामने आ गई कि सब फर्जीवाड़ा हुआ है। सारी पोल खुल गयी कि सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है जो अत्यंत खेद एवं जांच का विषय है।