लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नई सरकार किसकी बनेगी, स्थिति अभी तक साफ नहीं है लेकिन भाजपा और सपा में अभी से गुणा-भाग लगने लगा है। आज उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण की वोटिंग चल रही है। इस बार वोटिंग का पैटर्न काफी हद तक पिछले चुनावों की तर्ज पर ही है। बिना मुद्दे पर आधारित चुनाव में हर दल खुद को जीतता हुआ दिखा रहा है। इसका कारण स्थानीय मुद्दों का प्रभावी रहना है। तमाम दलों और गठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार पहले से तय हैं। अब डिप्टी सीएम की संख्या और चेहरों पर चर्चा शुरू हो गई है। तमाम राजनीतिक दलों की ओर से वोट बैंक के आधार पर चर्चा हो रही है। राजनीतिक दलों ने अब तक हुए चुनाव के आधार पर अपना गणित बैठा लिया है। वोटिंग के बाद के ट्रेंड इस चर्चा का आधार बन रहे हैं। रिजल्ट के बाद देखा जाएगा कि आखिर किस वर्ग का समर्थन जीतने वाले दल को किस प्रकार से मिला। उसी आधार पर पदों का बंटवारा होगा। भाजपा से लेकर सपा तक डिप्टी सीएम पद की संख्या को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं।
सपा में एक ओर जयंत चौधरी डिप्टी सीएम पद की उम्मीद में हैं तो वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य और ओम प्रकाश राजभर की निगाह इस पद पर टिकी हुई है। वहीं भाजपा के दो डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य तो पहले से ही हैं। इनके अलावा भी कुछ नेता खुद को डिप्टी सीएम के तौर पर देख रहे हैं। यूपी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सीएम योगी आदित्यनाथ के चेहरे के साथ उतरी है। पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ तमाम भाजपा नेता उनके चेहरे को आगे लेकर चुनावी मैदान में प्रचार करते दिखे। उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में भी पेश किया गया। वहीं, समाजवादी पार्टी में मुख्यमंत्री के चेहरे पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर कोई विवाद नहीं है। बसपा सुप्रीमो मायावती अपने दल की सर्वमान्य नेता हैं और खुद को वर्ष 2007 के बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने की बात कर चुकी हैं। पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी इस पर अपनी मुहर लगाते दिख रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस बार के चुनाव में बहुमत मिलने के बाद सरकार बनने की स्थिति में चार डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा चल रही है। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद ओबीसी के बड़े चेहरे के रूप में केशव प्रसाद मौर्य और ब्राह्मण समाज के चेहरे के रूप में डॉ. दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी दी गई थी। माना जा रहा है कि इस बार ओबीसी और ब्राह्मण के साथ-साथ एक दलित और एक जाटलैंड के नेता को भी डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी दी जा सकती है। दलित नेता में आगरा की बेबीरानी मौर्य का नाम सामने आ रहा है। उन्हें उत्तराखंड के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिला कर चुनाव मैदान में उतारा गया है।