ऋषि चौहान
एटा। जिले में लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव। वर्ष 2014 के बाद मोदी लहर विपक्ष पर भारी पड़ी है। जातीयता की अंधी दौड़ में मोदी अपनी लहर बनाने में कामयाब रहे हैं, उस पर 2022 के चुनाव में मोदी के राशन भाषण और बुलडोजर बाबा के उपयोगी होने के बाद विपक्ष के लिए संभावनाओं का अकाल नजर आ रहा है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में चारों विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थी। 2022 के चुनाव में भी भाजपा की वहीं सफलता दौहराई गई है। सच तो यह है कि 2012 के बाद मुलायम सिंह यादव की सपा और उनकी साइकिल एटा से विदा हो गई है।
एटा और अलीगंज तो सपा बाहुल्य हैं। यादव बाहुल्य सीटों पर लगातार दो चुनाव सपा के लिए हारना गलत संदेश है। सर्वाधिक यादव वाली सीट पर तो समाजवादी पार्टी की हार 20,000 से ज्यादा वोटों की है। एटा सीट पर सपा विद्रोही अजय यादव के विद्रोह से ज्यादा उनके आंसू सपा के लिए कहर साबित हुए। भाजपा के डेविड के परिवार ने एटा सीट पर यह आठवां चुनाव जीता है। डेविड के पिता गंगा प्रसाद लगातार 21 साल तक चुनाव जीते थे, उसके बाद उनके भाई प्रजा पालन वर्मा इसी सीट से जीते थे। अब लगातार दो चुनाव जीतकर पिता के रास्ते पर चल रहे हैं। चुनाव जीतकर अलीगंज विधानसभा सीट पर बसपा के हाथी ने सपा की साइकिल की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया।
जलेसर सुरक्षित सीट पर बाबा बुलडोजर की जनसभा ने कमाल कर दिया। इस सीट पर किसान नेता भानु प्रताप सिंह और बाबा बुलडोजर ने बजाया। संजीव दिवाकर दोबारा विधायक बन गए। मरहरा सीट का परिसीमन जब से बदला है तब से इस सीट की फितरत बदल गई है। निधौली कला सीट पर पहले सपा जीती थी तो अब बदले हुए परिसीमन में भाजपा भारी पड़ रही है।
सच तो यह है कि मोदी लहर और बाबा बुलडोजर के कहर ने समर्थकों को होली जैसे रंग और उमंगों के त्यौहार पर दीपावली मनाने का अवसर दे दिया है। जब से भाजपा जीती है तभी से एटा जिले की चारों सीटों पर खुशी के पटाखे छुड़ाए जाने का दौर शुरू हो गया है।