-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में केंद्र बनाने में इस बार भी बड़े-बड़े खेल हो गए हैं। शासन के आदेशों का उल्लंघन करते हुए आपस में कॉलेजों के सेंटर डाल दिए गए हैं। इसके साथ ही पिछले सेमेस्टर परीक्षा में जिस कॉलेज में एक हजार रुपये लेकर नकल कराने का ऑडियो वायरल हुआ था। इस बार की सेमेस्टर परीक्षाओं में उसे फिर से केंद्र बना दिया गया है। केंद्रों में गड़बड़ी होता देख लोगों के द्वारा मुख्यमंत्री से शिकायत की जा रही है।
बता दें कि शासन का आदेश है कि आपस में केंद्रों की अदला-बदली नहीं की जाए। क्योंकि अगर ऐसा होगा तो दोनों कॉलेज एक दूसरे के बच्चों को नकल कराएंगे। इससे परीक्षा पारदर्शी तरीके से और नकल विहीन नहीं हो पाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कॉलेज कोड 188 बोहरे पातीराम कॉलेज का सेंटर सीएस मेमोरियल कॉलेज में डाला गया है। वहीं सीएस मेमोरियल कॉलेज का सेंटर बोहरे पातीराम कॉलेज में डाला गया है। इसके साथ ही बीते सितंबर में हुई सेमेस्टर परीक्षा के दौरान एसआर कॉलेज उखर्रा में जिन कॉलेजों के छात्र-छात्राओं का सेंटर लाया था उन कॉलेजों के छात्रों से परीक्षाओं में नकल के नाम पर एक हजार रुपये मांगे गए थे। इस संबंध में ऑडियो वायरल हुआ था। डीएलए द्वारा खुलासा किए जाने के बाद विश्वविद्यालय ने अपनी किरकिरी होने से बचाने के लिए वहां डाले हुए सभी सेंटर दूसरे कॉलेजों में डाल दिए थे। इस वर्ष फिर से एसआर कॉलेज को केंद्र बना दिया गया है। इसके साथ ही शासन का आदेश है छात्राओं के लिए अधिकतम पांच किलो मीटर की दूरी पर और छात्रों के लिए 5 से 10 किलोमीटर की दूरी पर सेंटर बनाया जाए। कॉलेज के पास में कई कॉलेज होने के बावजूद दूर-दूर सेंटर डाले गए हैं। सूत्रों का कहना है कि जिस कॉलेज वाले को जिस कॉलेज में सुविधा मिल सकती है उसने वहां सेंटर डलवा लिेया है। पंचशील कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. वीरेंद्र केशव ने कुलपति से शिकायत की थी कि प्रबंध समिति ने उन्हें गलत तरीके से हटाकर राम कैलाश नाम के व्यक्ति को प्राचार्य बना दिया है जो पीएचडी नहीं है और उनका अनुमोदन भी नहीं है। शिकायत होने के बावजूद इस कॉलेज को भी केंद्र बना दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने एसआर कॉलेज में नकल के नाम पर पैसे मांगे जाने के संबंध में कुलपति को सीडी भी सौंपी थी उसके बावजूद केंद्र बना दिया गया है। यह सीडी उन्होंने 20 अप्रैल 2023 को सौंपी थी।
इसबार भी केंद्रों में गड़बड़ी की स्थिति तब है जब शासन ने पिछले सेमेस्टर परीक्षा की धांधली की जांच कराई थी और इस जांच में विश्वविद्यालय प्रशासन दोषी भी पाया गया। इसके बावजूद यहां के अधिकारी नहीं चेत रहे हैं।