ऋषि चौहान
एटा। पटियाली विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम राजनीति का गढ़ माना जाता है। गंगा की तराई में बिखरा यह चुनाव क्षेत्र पूर्व में डाकुओं की शरण स्थली रहा है। यह क्षेत्र जनपद के सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। पहले यह एटा जनपद का हिस्सा था और अब कासगंज का है। पूर्व में पटियाली राजनीतिक दृष्टि से प्रारंभिक 12 साल में कांग्रेस की राजनीति का गढ़ भी रहा है। इसका प्रमाण यह है कि प्रारंभिक 12 साल में कांग्रेस के प्रत्याशी ही चुनाव जीते। भाजपा का केसरिया तो अब तक महज चार बार लहराया है।
टिकट दृष्टिकोण से यह सीट ठाकुर, यादव, मुस्लिम प्रत्याशियों के लिए बेहद लाभकारी रही है। तीनों ही जातियों के प्रत्याशियों का मत कमोबेश बराबर रहा है। पर मुस्लिम मतदाता लगभग 60,000 शाक्य मतदाता, 50,000 ठाकुर मतदाता 45000 और यादव मतदाता 40000 हैं।
कायदे में इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशियों के लिए यह सीट लाभकारी मानी जाती है, उसके बाद पिछड़ों के पक्ष में इस सीट का समीकरण जाता है। ठाकुर सहित अन्य जातियां तो जोड़-तोड़ करके इस सीट पर बाजी मारती रही हैं।
पटियाली विधानसभा पहला क्षेत्र है जहां चुनावों के दौरान प्रत्याशी की हत्या भी हो चुकी है। 1980 के चुनाव में इस क्षेत्र से निर्दलीय शिवराज प्रेमी की हत्या हुई थी इसके चलते चुनाव रद्द हुआ था।
पटियाली का चुनावी इतिहास गवाह है कि यहां सबसे पहली हुए चुनाव में 1952 में मशहूर उद्योगपति सलीम शेरवानी की मां कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थी। 1957 के अगले चुनाव में कांग्रेस का तिरंगा लहराया था उस चुनाव में कांग्रेस के सांसद जीते थे। 1962 के चुनाव में पासा पलट गया। इस बार गढ़िया निवासी राय सिंह चौहान कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। 1967 के अगले चुनाव में परिवर्तन की बयार फिर चली और इस चुनाव में कांग्रेस ने अपनी पिछली पराजय का बदला चुकाया कांग्रेस के निर्मल सिंह जनसंघ के राजेंद्र सिंह चौहान को 6038 मतों से पराजित किया।
1969 के चुनाव में निर्मल सिंह विजयी हुए। इस बार उनकी पार्टी कांग्रेस थी उन्होंने कांग्रेस के बाबू बनारसी दास को 5856 मतों से पराजित किया। 1974 के चुनाव कांग्रेस ने पटियाली सीटें जीती इस चुनाव में जीत का सेहरा जमीर अहमद उर्फ रफफन मियां के सिर बंधा उन्होंने जनसंघ के राजेंद्र सिंह चौहान को 13524 मतों से पराजित किया। 1977 में कांग्रेस पराजित हुई और इस सीट पर जनता पार्टी के जयवीर सिंह ने कांग्रेस के जमीर खान और मियां को 10140 मतों से पराजित किया। 1980 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शिवराज प्रेमी की हत्या के चलते चुनाव हुआ और 1981 में हुए उपचुनाव में जमीर अहमद और लोकदल के जसवीर सिंह को 6117 मतों से हराया। इसी बीच कांग्रेस के रसिया की मृत्यु हो गई और 1952 में उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में कांग्रेस के राजेंद्र सिंह चौहान चुनाव जीते 1989 के अगले चुनाव में कांग्रेस के देवेंद्र सिंह यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी राजन सिंह चौहान को 13000 मतों से पराजित किया इस चुनाव में एक रोचक वाकया हुआ के नामांकन के अंतिम दिन निवर्तमान विधायक राज सिंह चौहान नगला अमीर को मिला टिकट गढ़िया के राजेंद्र सिंह चौहान को था लेकिन वे नामा राशि होने का फायदा उठाकर पार्टी का सिंबल ले आए।
पटियाली विधानसभा की एक और खास बात है। पटियाली विधानसभा सीट तराई से जुड़ी है और गंगा के इस पार पटियाली और एटा है तो उस पार बदायूं और फर्रुखाबाद पटियाली विधानसभा की सीमाएं फर्रुखाबाद और बदायूं जनपद से जुड़ी हैं। गंगा की तलहटी के कारण यह डाकू से प्रभावित क्षेत्र है। इसीलिए चुनावों में बूथ कैप्चरिंग के बल पर डाकू गंगा की तलहटी में अपना प्रभाव विधानसभा और लोकसभा चुनाव में दिखाते रहे हैं।
एक बात और एटा और कासगंज जिले की 7 सीटों में सबसे ज्यादा उपचुनाव पटियाली सीट पर ही हुए हैं। तीन उपचुनाव पहला निर्दलीय प्रत्याशी शिवराज प्रेमी की हत्या के बाद रद्द हुए चुनाव के बाद दूसरा कांग्रेस विधायक रफफन मियां की मौत के बाद और आखिरी उपचुनाव सांसद देवेंद्र सिंह के चुनाव लड़ने के बाद रिक्त हुई सीट पर हुआ था। 2000 में हुए चुनाव में भाजपा के रंजन पाल सिंह चुनाव जीते थे।
जहां तक पिछले 2017 के चुनाव की बात करें तो उस चुनाव में भाजपा के ममतेश शाक्य चुनाव जीते थे उन्हें बात 72414 मत मिले थे तो उनकी निकटतम किरण यादव को 68643 मत मिले थे।
मौजूदा 2022 के चुनाव में हालात यह है कि इस सीट पर ममतेश शाक्य भाजपा के प्रत्याशी है तो सपा नेता आजम खां की सिफारिश पर पैराशूट से नाहिदा बेगम उर्फ बिटिया को सपा ने टिकट दिया है। पिछले चुनाव में मात्र 3771 वोटों से हारी किरण यादव को इस बार भाव नहीं दिया गया है। इसी के साथ इस क्षेत्र में देवेंद्र सिंह यादव जो लंबे अरसे से चुनाव लड़ते रहे तो विधानसभा के चुनाव जीते और दो चुनाव संसदीय जीते पिछले चुनाव में उनकी बेटी किरण यादव चुनाव मैदान में थी तो इस बार उनका टिकट काट दिया गया है।
भाजपा विधायक ममतेश शाक्य अपनी लगातार दूसरी जीत इस सीट पर सुनिश्चित करने के लिए 11 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी की सभा करा रहे हैं तो सपा प्रत्याशी नाहिदा 18 फरवरी को सपा प्रमुख अखिलेश यादव की जनसभा। टैंपो हाई करने के लिए इन दो की टक्कर में इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का काम बसपा के नीरज मिश्रा कर रहे हैं। वे भाजपा और सपा प्रत्याशी दोनों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। सपा की किरण यादव का टिकट अब उठाकर वे यादव मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने की कोशिश में है। वही उनके व्यक्तिगत व्यवहार की वजह से मुस्लिम मत भी उन्हें मिलने की उम्मीद है। ब्राह्मणों में उनका खासा प्रभाव है इसीलिए वे भाजपा प्रत्याशी के लिए चुनौती बन रही है लेकिन मोदी की सभा होने के चलते उन्हें कितना लाभ मिलेगा और 20 तारीख को होने वाले मतदान में चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा यह आने वाला वक्त ही गवाही देगा।