ऋषि चौहान
एटा अमापुर विधानसभा सीट पिछड़ों की जंग का मैदान है। कालांतर में सोरों विधानसभा का नाम बदलकर अमापुर कर दिया गया था। सोरों ब्राह्मण बाहुल्य थी तो अमापुर पिछड़ों की बाहुल्य इस सीट पर मुराव अर्थात मौर्य वोटों की बहुतायत है। लोधी राजपूत मतदाता इस सीट पर बहुतायत में हैं। यही कारण है कि सर्वाधिक विधायक सीट से लोधी और शाक्य ही हुए हैं।
बात 2017 के चुनाव की करें तो उस चुनाव में इस सीट से भाजपा के देवेंद्र सिंह राजपूत चुनाव जीते थे, उनकी मौत के बाद उपचुनाव नहीं हुआ क्योंकि उनकी मौत हाल ही में हुई थी। 2017 के चुनाव में भाजपा के देवेंद्र सिंह राजपूत को 85199 वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम रहे सपा के वीरेंद्र सिंह सोलंकी को 43395 वोट मिले थे। निर्वाचित देवेंद्र सिंह राजपूत का वोटिंग परसेंट 46. 36 था। जबकि निकटतम वीरेंद्र सिंह सोलंकी का मत प्रतिशत 23.61 था बसपा के देव प्रकाश को 33166 मत मिले थे उनका वोटिंग परसेंट 18.5 था। महान दल के राहुल पांडे को 16963 मत मिले थे।
इससे पिछले चुनाव में 2007 और 2012 में भाजपा के ममतेश शाक्य चुनाव जीते थे, उसके बाद उनकी सीट बदलकर पटियाली कर दी गई। 2017 के चुनाव में भी पटियाली से जीते और इस बार फिर चुनाव मैदान में है।
जैसा कि पहले बता चुके हैं, अमापुर से पहले यह सीट सोरों विधानसभा के नाम से जानी जाती थी, उस दौरान इस सीट से 1974 में खूबचंद बीकेडी पार्टी से 1977 में जनता पार्टी से रामप्रताप और 1980 और 1985 में कांग्रेस के टिकट पर अग्निहोत्री और 1989 से 1993 तक ओंकार सिंह भाजपा से चुनाव जीते थे। ओंकार सिंह लोधी जाति के थे। इस सीट पर 68000 लोधी राजपूत हैं और 46000 मुराव या शाक्य मतदाता। इन्हीं के दम पर ओंकार सिंह और ममतेश शाक्य चुनाव जीते थे।
इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का खासा प्रभाव रहा है। क्योंकि वे लोधी जाति के थे और यह सीट भी उनकी विधानसभा अतरौली से जुड़ी हुई है।
2022 के चुनाव में इस विधानसभा सीट से बाकी तो निर्दलीय प्रत्याशी हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के हरिओम वर्मा सपा के सत्यम शाक्य बीएसपी के शुभम शाक्य के बीच त्रिकोणीय नजर आ रहा है। ऐसे में इतना तो तय है कि त्रिकोणीय मुकाबले में दो शाक्यों की जंग में नवोदित लोधी प्रत्याशी बाजी मार जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। चुनाव 20 फरवरी को होना है। देखना है 20 फरवरी को चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा?