ऋषि चौहान
एटा। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की बेटी और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भाव तो आधी आबादी का खेला था। लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा देने वाली प्रियंका गांधी हर दांव आजमा कर कांग्रेस को विधानसभा के चुनाव में संजीवनी नहीं दे सकीं।
कांग्रेस का मत प्रतिशत एटा जिले की चारों विधानसभा अलीगंज, एटा, मारहरा, जलेसर सुरक्षित सहित सभी विधानसभा क्षेत्रों में निरंतर गिरता जा रहा है। आंकड़ों की बात करें तो बीते 33 सालों से कॉन्ग्रेस एटा जिले में अपनी जीत का खाता भी नहीं खोल पाई है। 1989 के चुनाव में विधानसभा में निधौली कला, अलीगंज और पटियाली सीट कांग्रेस ने जीती थी, उसके बाद कांग्रेस का वोट प्रतिशत निरंतर गिरता चला जा रहा है। उदाहरण के लिए बता दें तो एटा जिले के 1282650 मतदाताओं में से 65. 78 मतदाताओं ने मतदान किया। इन चारों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया तो कांग्रेस के प्रत्याशियों को मिले मतों की स्थिति बहुत दयनीय रही। एटा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की गुंजन मिश्रा को 1478 वोट मिले। अलीगंज विधानसभा पर सुरेश प्रत्याशी सुभाष चंद्र को 1026 वोट मिले। मारहरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद को 836 तो जलेसर सुरक्षित विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी नीलिमा राज को 856 मत मिले। हास्यास्पद स्थिति यह रही कि इससे ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशियों को वोट मिले। इससे जाहिर है कि मतदाताओं ने एटा की चारों सीटों पर कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ दिया है। इन चारों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने की तो दूर सम्मानजनक मत भी नहीं पा सके। कांग्रेस से ज्यादा मत तो निर्दलीय प्रत्याशियों के हाथ लगे।
कांग्रेस हाईकमान भी शायद अपनी दयनीय स्थिति से वाकिफ है तभी तो पूरे विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के किसी राष्ट्रीय स्तर के नेता की जनसभा एटा जिले में नहीं हुई ना प्रियंका गांधी आई और ना उनके भाई राहुल गांधी। शायद उन दोनों को भी कांग्रेस की दयनीय स्थिति का अनुमान था।