-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के कार्यकाल में हुई अंतिम कार्य परिषद की बैठक की मिनिट्स पर उनके हस्ताक्षर ही नहीं है। इससे यह मिनिट्स किसी के भी द्वारा चैलेंज करने पर फर्जी मानी जाएंगी। हस्ताक्षर नहीं होने के बावजूद वर्तमान अधिकारी मिनिट्स को फर्जी घोषित नहीं कर रहे हैं। उल्टा वह पूर्व कुलपति प्रोफेसर पाठक के कारनामों को सही साबित करने के लिए इन मिनिट्स को कल होने जा रही कार्यपरिषद में अप्रूव कर आने के लिए ले जा रहे हैं। पिछली कार्यपरिषद में पास हुए कई विवादित और गलत काम मिनट्स में शामिल हैं। इनकी एसटीएफ भी जांच कर रही है। एसटीएफ को जांच करता हुआ देखकर भी वर्तमान अधिकारियों ने पूर्व कुलपति की अध्यक्षता में कार्यपरिषद की मिनिट्स पर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की जगह कुलपति के रूप में फॉर लिखकर प्रोफेसर अजय तनेजा के हस्ताक्षर करा दिए हैं। बड़े अधिकारियों को एसटीएफ का भी डर नहीं सता रहा है।
12 सितंबर को विश्वविद्यालय में कार्य परिषद की बैठक हुई थी। इसमें कई निर्णय पास हुए थे। कुछ निर्णय की एसटीएफ जांच कर रही है। जैसे कि संविदा पर मनमाने तरीके से पूर्व कुलपति ने नियुक्ति कर दी। इनमें रोस्टर का भी पालन नहीं हुआ। किसी को तीन साल के लिए रखा गया है। किसी को एक साल के लिए, जबकि विज्ञापन गेस्ट के लिए निकला था। आर्यभट्ट के सिलेक्शन में भी धांधली की गई। इसके अलावा फरह स्थित राजकीय कॉलेज में 40 हजार प्रतिमाह पर शिक्षक रखा गया है, जबकि वित्त समिति से 35 हजार ही पास है। इसके अलावा विवेकानंद इनक्यूबेशन फाउंडेशन में इनक्यूबेशन मैनेजर 75 हजार प्रतिमाह पर रखा गया है। इसको फार्मेसी के निदेशक बृजेश तिवारी के बराबर वेतन दिया गया है, जबकि प्रधान महालेखाकार के द्वारा बृजेश तिवारी के 65 हजार वेतन होने पर भी आपत्ति लगाई गई थी, उसके बावजूद वर्तमान कुलपति ने उनके 10 हजार रुपये और बढ़ा दिए। एसटीएफ को इन सभी बिंदुओं पर जांच करता देख कर भी 12 सितंबर की कार्यपरिषद की मिनिट्स को कल होने जा रही कार्यपरिषद की बैठक में अप्रूव्ड कराने के लिए ले जाया जा रहा है।
मामले में प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा से जब यह सवाल किया गया कि एक अक्टूबर को कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने विश्वविद्यालय से चार्ज छोड़ा है। 12 सितंबर को उनकी अध्यक्षता बाली कार्यपरिषद की मिनट पर अपने हस्ताक्षर क्यों कर दिए हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि उनसे एक अधिकारी ने कहा था। इसलिए उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए।
उच्च अधिकारी का है खेल, उसकी रणनीति समझने में कई फेल
आगरा। एक उच्चाधिकारी के द्वारा पूर्व कुलपति के कारनामों को सही करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है। इस बात को समझने में अभी कई लोग फेल हो रहे हैं। क्योंकि उच्च अधिकारी के द्वारा अपनी प्रेजेंटेशन इस तरीके से दी जाती है कि वह पूर्व कुलपति के नजदीक नहीं हैं, जबकि पूर्व कुलपति ने ही उनकी विश्वविद्यालय में नियुक्ति कराई है। एसटीएफ भी इस विषय पर जांच कर रही है।
पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को कल होने जा रहे कार्य परिषद के लिए किया गया आमंत्रित
आगरा। पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को कल होने वाली कार्यपरिषद के लिए आमंत्रित किया गया है। आमंत्रित सदस्यों की सूची में उनका नाम शामिल है।
कुलाधिपति के द्वारा हर विश्वविद्यालय में एक अपना नॉमिनी नामित किया गया है। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में नॉमिनी के रूप में कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को नामित किया गया था। इसी विश्वविद्यालय में रहकर उन्होंने फर्जीवाड़े किए और जमकर कमीशन लिए। लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है। जानकारों का कहना है कि वर्तमान कुलपति प्रोफेसर आशु रानी को कुलाधिपति को पत्र लिखकर यह मांग करनी चाहिए थी कि कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को यहां के नॉमिनी से कैंसिल किया जाए।