आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारी और बड़े प्रोफेसरों के खिलाफ न्यायालय में केस चल रहा है। केस किसी और ने नहीं विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा निकाले गए एक कर्मचारी ने किया है। गुरुवार को हुई कार्य परिषद में निर्णय लिया गया कि कर्मचारी केस वापस ले ले तो उसे दोबारा नौकरी पर रख लेंगे।
पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल के कार्यकाल में इतिहास विभाग से वीरेश नाम के कर्मचारी को मार्कशीट जलाने के मामले में निकाला गया था। वीरेश का कहना था कि उसे फंसाया गया है, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी थी, उसके खिलाफ f.i.r. भी दर्ज करा दी गई थी। न्याय की गुहार लगाने के लिए वीरेश ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल, प्रोफेसर अनिल वर्मा, प्रोफसर यूसी शर्मा, प्रोफेसर संजय चौधरी, सहायक कुलसचिव पवन कुमार, अमृतलाल, डॉ. बीडी शुक्ला, मोहम्मद रईस, बृजेश श्रीवास्तव के नाम शामिल थे। प्रार्थना पत्र में उसने कहा था कि उसे मार्कशीट जलाने के मामले में फंसाया गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने याचिका को परिवाद के रूप में दाखिल कर लिया था। इसके बाद अधिकारियों और प्रोफेसरों के पसीने छूटे हुए थे। गुरुवार को हुई कार्यपरिषद की बैठक में सदस्यों ने कहा कि वीरेश को दोबारा नौकरी दे दी जाए। इससे वह केस वापस ले लेगा। इस पर सभी सदस्य राजी हो गए। क्योंकि उनके साथी शिक्षकों के ही याचिका में नाम हैं।