-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन में गेस्ट हाउस के लिए जो फर्नीचर बना है, उसके रेट सातवें आसमान से भी ऊपर हैं, जो भी उनको सुनेगा वह हैरान हो जाएगा। यह सभी फर्नीचर पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के कार्यकाल में ही बना है।
संस्कृति भवन का विश्वविद्यालय भूस्वामी नहीं था। फिर भी डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित ने यहां 40 करोड़ की बिल्डिंग खड़ी करा दी। जमीन का भूस्वामी नहीं होने के चलते आगरा विकास प्राधिकरण ने इसका नक्शा भी पास नहीं किया है। जमीन को विवादित देख पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल और प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने उसका उद्घाटन नहीं किया था। प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने बिल्डिंग का उद्घाटन कर दिया और यहां फर्नीचर की खरीदारी शुरू करा दी। दो से तीन कंपनियों ने यहां फर्नीचर की सप्लाई की है, जिसका करोड़ों रुपए का भुगतान बताया जा रहा है। एक कंपनी के द्वारा बेड, अलमारी, कैबिनेट और टेबल बनाए गए हैं, उसका बिल ही करीब डेढ़ करोड रुपए है। इस कंपनी के कर्मचारी ने बताया कि जो बेड बनाया गया है वह करीब 90 हजार रुपये का है। यह बोर्ड का है। इसके अलावा जो अलमारी बनी है। वह करीब 85 हजार की है। साइड में जो कैबिनेट रखा जाता है। वह करीब 10 हजार का है। 25 बेड, 25 अलमारी और 86 कैबिनेट बनाए गए हैं।
इधर खंदारी स्थित एक शोरूम संचालक ने बताया कि जो बेड है वह उनके यहां 25 से 30 हजार में, जो अलमारी है वह 25 से 30 हजार में, जो कैबिनेट बनाया गया है वह दो हजार में उपलब्ध है। सवाल खड़े हो रहे हैं कि पूर्व कुलपति के कार्यकाल में इतना महंगा फर्नीचर क्यों बना? कहीं कमीशन के लालच में ही तो महंगा फर्नीचर नहीं बनवाया गया है? करोड़ों रुपए का फर्नीचर खरीदने के चलते ही तो इस बिल्डिंग का उद्घाटन नहीं किया गया था? मामले में कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह का कहना है कि अभी तक फर्नीचर का भुगतान नहीं हुआ है, उनके पास जब भी फाइल आएगी, पहले वे फर्नीचर की गुणवत्ता की जांच कराएंगे। अगर गुणवत्ता खराब निकली तो किसी हालत में फर्नीचर का भुगतान नहीं किया जाएगा।
प्रोफेसर लवकुश मिश्रा बोले जो फर्नीचर खरीदा है वह किसी काम का नहीं
आगरा। आईटीएचएम के एचओडी प्रोफेसर लवकुश मिश्रा का कहना है कि जो फर्नीचर खरीदा गया है उसमें संस्थान के शिक्षकों से सलाह भी नहीं ली गई है। लैब में कौन सी टेबल होनी चाहिए यह तो संस्थान का शिक्षक ही बता सकता है। आईटीएचएम की लैब में भी जो टेबल डलवाई गई है। वह लैब वाली नहीं है। प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने कुलपति से भी मांग की है जिस संस्थान के लिए भी खरीददारी होती है उस कमेटी में उस संस्थान के शिक्षक को भी रखा जाए। क्योंकि यहां पर कुछ शिक्षक भाग्यविधाता बने हुए हैं। वह खुद ही तय कर लेते हैं कहां पर क्या मंगाना है।
प्रोफेसर संजय चौधरी हैं संस्कृति भवन के प्रभारी
आगरा। पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने प्रोफेसर संजय चौधरी को संस्कृति भवन का प्रभारी बनाया था। प्रोफ़ेसर संजय चौधरी की देखरेख में ही यह फर्नीचर बना है। इसके साथ ही वह रूसा के भी प्रभारी हैं। एसटीएफ ने पिछले दिनों उन्हें पूछताछ के लिए भी बुलाया था। आने वाले दिनों में संस्कृति भवन को लेकर भी उनसे पूछताछ हो सकती है।