आगरा। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सहित नौ लोगों के खिलाफ एक कर्मचारी ने कोर्ट में एफआईआर के लिए याचिका डाली थी। मामले में कोर्ट ने एएसपी हरीपर्वत को जांच के आदेश दिए हैं। 24 फरवरी तक उन्हें अपनी आख्या कोर्ट में पेश करनी होगी।
बता दें कि विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में तैनात रहे कर्मचारी वीरेश कुमार ने स्पेशल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल, प्रोफेसर अनिल वर्मा, प्रोफेसर यूसी शर्मा, प्रोफेसर संजय चौधरी, सहायक कुलसचिव पवन कुमार, अधीक्षक अमृतलाल, मोहम्मद रईस, बृजेश श्रीवास्तव आदि के खिलाफ प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। वीरेश ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा था कि वह इतिहास विभाग में 23 वर्षों से कार्यरत था। विभाग में 2015-16 से विश्वविद्यालय की पूर्व वर्षों की अंकतालिका में गलतियां ठीक कर संशोधित किए जाने का कार्य होता था। 12 दिसंबर 2020 को मुझे प्रोफेसर अनिल वर्मा ने बुलाया और कहा कि बाहर रद्दी जल रही है, जरा देख कर आओ की जली या नहीं। मैं मौके पर गया तो भारी मात्रा में अंकतालिका जल रही थीं। मुझे नहीं पता था कि मुझे जानबूझकर वहां भेजा गया है। थोड़ी देर में वहां कुलपति आ गए और कुलपति ने बिना जांच किए मेरी सेवाएं समाप्त कर दीं। यही नहीं प्रोफेसर अनिल वर्मा ने मुझसे कहा कि अगर तुम मुझे 10 लाख दोगे तो मैं तुम्हारी नौकरी दोबारा लगवा दूंगा। कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को गंभीरता से लेते हुए एएसपी हरीपर्वत को प्रारंभिक जांच करने के निर्देश दिए हैं। 24 फरवरी तक कोर्ट में आख्या प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया है।