-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय पर हर जब देखो संकट के बादल छाए रहते हैं। इस बार विश्वविद्यालय के कुलसचिव, वित्त अधिकारी, रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष, डिग्री और अंकतलिका संबंधित विभाग के कर्मचारियों पर कूटरचित मार्कशीट और डिग्री देने के संबंध में कोर्ट के आदेश पर हरीपर्वत थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। मुकदमा दर्ज होने के बाद विश्वविद्यालय परिसर में खलबली मच गई है।
छात्र नीलम कुलश्रेष्ठ के द्वारा विश्वविद्यालय के आवासीय परिसर में वर्ष 1990 में क्लिनिकल केमेस्ट्री में डिप्लोमा में प्रवेश लिया गया था। छात्र के साथ अन्य छात्रों ने भी प्रवेश लिया था। विश्वविद्यालय के द्वारा उन्हें मार्कशीट और डिग्री भी प्रदान की गई। छात्रों ने जब नौकरियों में आवेदन किया तो स्वास्थ्य विभाग और अन्य सरकारी विभाग ने विश्वविद्यालय के डिप्लोमा कोर्स को अवैध माना। हवाला दिया कि सरकार और यूजीसी से कोर्स को मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके बाद छात्र ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया। प्रार्थना पत्र में छात्र ने कहा कि भारत सरकार, राज्य सरकार अन्य संबंधित संस्थानों से मान्यता प्राप्त नहीं होने के बाद भी प्रार्थी और अन्य छात्रों से उक्त पाठ्यक्रम की धनराशि प्राप्त करते हुए अंक तालिका और डिग्री प्रदान की गई जो कि विधिक रुप से मान्य न होने के कारण कूट रचित दस्तावेजों की श्रेणी में आती है। मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। कुलसचिव, वित्त अधिकारी, विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान विभाग, डिग्री और मार्कशीट संबंधी विभाग के कर्मचारियों खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 120 बी के तहत हरीपर्वत थाने में मुकदमा दर्ज हो गया है।