-पीयूष गौतम-
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनावी शोर थमने वाला है। अब सिर्फ दो चरणों के मतदान शेष रह गए हैं। छठे चरण का मतदान कल और सातवें चरण का मतदान सात मार्च को होगा। ऐसे में यूपी की सियासी फिजां साफ हो गई है। यूपी के विभिन्न हिस्सों से मिल रही सूचनाओं को सच मानें तो भाजपा की बढ़त अभी तक कायम है। हालांकि यह भी सत्य है कि सपा ने उसे कड़ी टक्कर दी है। वैसे भी इस चुनाव में किसी तरह की एंटी इंकंबेंसी नहीं है। ऐसे में यूपी का चुनाव हर मायने में अलग दिख रहा है। इतना ही नहीं, केंद्र की मोदी सरकार की कई योजनाएं सपा पर काफी भारी पड़ गई हैं। महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के जिस मुद्दे को लेकर सपा और इसके प्रमुख अखिलेश यादव ने जनता के बीच ले जाने की कोशिश की, उस पर योगी सरकार की शौचालय निर्माण, घर निर्माण और फ्री राशन की योजनाएं काफी भारी हैं। ऐसे लाभार्थियों की संख्या करोड़ों में है, जिसका कोई जवाब सपा के पास नहीं दिख रहा है।
यह बात सही है कि गांवों का विकास उस हिसाब से नहीं हुआ, जिसका दावा किया गया था। सड़कें भी नहीं बनीं, पशु खुलेआम घूम रहे हैं मगर जैसे ही फ्री राशन की बात होती है तो लोग कहते हैं कि हां, यह तो है। हमें फ्री राशन मिल रहा है। घर बन गए हैं, शौचालय का निर्माण कराया गया है। लोग बिजली आपूर्ति से भी खुश हैं। कानून-व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। ऐसे लाभार्थी वोटर खामोश हैं, जो अखिलेश यादव और सपा के सपने को चकनाचूर कर सकते हैं। ऐसे में 10 मार्च के नतीजे वर्षों बाद यूपी में सरकार का दोहराव कर सकते हैं।
जहां तक फ्री राशन योजना की बात है, हर इलाके के लोग मानते हैं कि ऐसे लाभार्थी आंख मूंद कर भाजपा को ही वोट देंगे। इन सबके अतिरिक्त सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि और कानून व्यवस्था ने सपा को पीछे धकेल दिया है। योगी के बारे में लोग समझते हैं कि वह कुछ भी हो भ्रष्ट नहीं हैं। उन्होंने गोरखपुर के अपने मठ में कभी सरकारी धन पर फिजूलखर्ची नहीं की। लोग मानते हैं कि सैफई में जिस तरह से बॉलीवुड से हीरो-हिरोइनों को बुला कर नाच-गाना सरकारी धन पर कराया जाता था, ऐसा कुछ इस सरकार में नहीं हुआ। पिछले पांच सालों में सैफई में इस तरह का आयोजन क्यों नहीं किया गया। ऐसी सोच पूरे यूपी में है। यूपी के लोग मानने लगे हैं कि सरकार का पैसा गरीबों, पिछड़ों के हित में ही खर्च हो रहा है। उत्तर, पूर्वी, दक्षिण और पश्चिमी यूपी में इसका असर साफ दिखा। पश्चिमी यूपी में जहां किसानों के आंदोलन के चलते जाट बिरादरी में गुस्सा था, वह भी कम होता दिखा क्योंकि लोग मानते थे कि योगी की सरकार में कानून-व्यवस्था की स्थिति मजबूत रही और लोगों को कई लाभ मिले। यही स्थिति बुंदेलखंड, मध्य यूपी, अवध और पूर्वी यूपी की है।