-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 88वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति के द्वारा 123 छात्र-छात्राओं को मेडल प्रदान किए गए। 123 में से 97 मेडल छात्राओं ने प्राप्त किए। इस बार फिर से मेडल पाने में छात्र पीछे रह गए। सर्वाधिक 11 मेडल एफएच मेडिकल कॉलेज की हुमा जाफर ने प्राप्त किए। इधर कुलाधिपति ने पिछले साल के दीक्षांत समारोह की तरह इस बार भी विश्वविद्यालय की बर्बादी के लिए शिक्षकों को कोसा। कुलाधिपति ने यह तक कह दिया कि आपको विश्वविद्यालय से वेतन मिल रहा है। यहां से आपका घर चल रहा है। फिर भी लड़ाई झगड़े के अलावा कुछ नहीं कर रहे।
कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल 11:50 पर शिवाजी मंडप सभागार में पहुंची। सबसे पहले जल भरो अभियान की शुरुआत की गई, उन्होंने मटके में जल डाला। दीक्षांत समारोह में 67 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि 6 शोधार्थियों को डीलिट की उपाधि प्रदान की गई।
1.39 लाख छात्रों को दीक्षांत समारोह में उपाधि प्रदान की गई। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिन छात्र-छात्राओं को आज उपाधि मिली है वे यहां से एक संकल्प साथ लेकर जाएं कि वह माता-पिता गुरुजनों के साथ देश का नाम रोशन करेंगे।मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर एमएम सालुंखे ने भी उपाधि पाने वाले छात्रों को बधाई दी। कुलाधिपति ने पांच पुस्तकों का विमोचन भी किया। इनमें एक पुस्तक आरबीएस कॉलेज की डॉ. पूनम तिवारी की थी। शीर्षक था ‘जीवन कौशल एवं राष्ट्रीय सेवा योजना’।
कुलाधिपति आनंदीबेन ने 44 मिनट का अपना भाषण दिया। भाषण की शुरुआत करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि आज 123 मेडल में से 97 मेडल छात्राओं को मिले हैं। लड़कियों अगले वर्ष 100 फीसदी पदक अपने नाम कर लो। छात्र-छात्राओं से कहा कि अपने माता-पिता को कभी न भूलें। कुलाधिपति ने कहा कि परंपरागत खेलों की स्पर्धा को प्रधानमंत्री ने शुरू कराकर बेहतर प्रयास किया है। सांसद, विधायकों ने ये किया भी। नतीजा ये हुआ कि आज की पीढ़ी भी परम्परागत खेलों से अवगत हुई है।
यूनिवर्सिटी का मतलब चार लेक्चर नहीं होता है, छात्रों के सामने शिक्षकों को लताड़ा
हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक था कि कुलाधिपति विश्वविद्यालय के ऊपर क्या बोलेंगी।
कुलाधिपति ने कहा कि आपने क्या स्थिति बनाई है, यूनिवर्सिटी की? मुझे चिंता होती है। आपको नहीं होती। आम्बेडकर विश्वविद्यालय में जिन्होंने 10 सालों में बर्बादी की है, वह समझ लें। कुलाधिपति ने कहा कि यहां लोगों ने लड़ाई झगड़े के अलावा कुछ नहीं किया। आपमें संस्कार नहीं है तो अध्यापक रहने का अधिकार भी नहीं है। सरकार आपको वेतन दे रही है। आपका घर परिवार यूनिवर्सिटी से चलता है। काम ना हो सके तो मत कीजिए लेकिन बुराइयां मत कीजिए। घर में बैठे रहिए। इस विश्वविद्यालय को चार साल बाद 100 साल पूरे हो जाएंगे।ऐसे बहुत कम विश्वविद्यालय हैं जिनको 100 साल हो गए हैं। इस विश्वविद्यालय से पढ़े हुए छात्र तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सीएम बने हैं। ऐसे में यहां के शिक्षकों को एक विजन बनाना होगा और मेरे सामने भी प्रस्तुत करना होगा कि आने वाले 10 सालों में वह क्या करेंगे। हमारे पास इतने होनहार बच्चे हैं। इनका उपयोग कर दूसरी यूनिवर्सिटी से आगे आ सकते हैं। कुलाधिपति ने यह भी कहा कि नेक का निरीक्षण कराना है जिसे रुचि है उसे ही काम दो, जिसे नहीं है उसे मत दो। A++ लाना है। तब उस यूनिवर्सिटी का डिजाइन बन जाएगा। समाज में जो छाप बनी हुई है। वह बदल जाएगी। कुलाधिपति ने यह भी कहा कि कुलपति तो तीन साल के लिए आते हैं आप लोग तो 30 से 35 साल तक ही परमानेंट रहते हैं। फिर भी आपस में प्रेम नहीं है। कहां गई हमारी संवेदनशीलता कि मैं अध्यापक हूं। मुझे यह काम करना चाहिए।
कुलाधिपति के द्वारा विश्वविद्यालय की रिसर्च वेबसाइट, इंजीनियरिंग कैंपस में बने आर्यभट्ट सभागार का लोकार्पण किया गया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को किट प्रदान की गई। इसके साथ ही प्राइमरी स्कूल के बच्चों को बैग और किताबें भी बांटी।
मेडल पाने के बाद खिल उठे चेहरे
11 मेडल मिलने के बाद गोल्डन गर्ल हुमा जाफर की खुशी का ठिकाना नहीं था। वह अपने माता-पिता के बार-बार गले मिल रही थीं। माता-पिता भी अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। माता-पिता का कहना था कि उमा उनके लिए किसी बेटे से कम नहीं है।
हुमा का कहना है कि वह बचपन से ही चिकित्सक बनना चाहती थीं। वह चिकित्सक बनने के बाद गरीबों की सेवा करना चाहती थी। वह इस बात से भी निराश थी कि विश्वविद्यालय से छात्रों को मार्कशीट नहीं मिलती है, उनकी भी मार्कशीट नहीं मिली थी। अपने माता पिता के साथ उन्होंने विश्वविद्यालय के कई चक्कर लगाए हैं।
एमए इकोनॉमिक्स में टॉप करने वाली नम्रता सैनी को चार मेडल मिले हैं। नम्रता ने बताया कि उनके पिता हरीश बिहारी और मां इंदु सैनी दोनों ही सरकारी शिक्षक हैं। वह भी प्रोफेसर बनना चाहती हैं।
वह B.Ed कर रही हैं। नम्रता ने बताया कि वह रोजाना 4 से 5 घंटे पढ़ती थी। मोबाइल से भी दूर रहती थी।नम्रता को चार मेडल मिलता देख उनकी मां की आंखों में आंसू आ गए थे।
बीए और एमए में टॉप करने वाली प्रिया सागर पांडे को दो मेडल हैं।प्रिया सागर पांडे ने सेंट जॉन्स कॉलेज से बीएससी किया है।
प्रिया के पिता सागर आनंद पांडे एक कंपनी में जीएम हैं। मां सुनीता मिश्रा संस्कृत की शिक्षिका हैं। प्रिया ने बताया कि उनके दादा नवल किशोर पांडे का उन्हें पढ़ाने में बहुत बड़ा हाथ रहा है। वह गुडवियर कंपनी में प्रेसिडेंट रह चुके हैं। प्रिया ने बताया कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगी। इसके साथ साथ शोध के क्षेत्र में भी वह आगे बढ़ना चाहती हैं।
एमएससी फूड एंड न्यूट्रिशन में टॉप करने पर रिंकल शर्मा को भी दो मेडल मिले हैं। वह गृह विज्ञान संस्थान की छात्रा हैं। बीएससी में भी उन्होंने टॉप किया था। रिंकल ने बताया कि उनके पिता पवन शर्मा और माता रेखा शर्मा ने उन्हें पढ़ने की पूरी आजादी दी थी। वह वर्तमान में साकेत हॉस्पिटल में डाइटिशियन भी हैं। वह भविष्य में लेक्चरर बनना चाहती हैं।
दीक्षांत समारोह में यह रहे उपस्थित
दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. अनुराग शर्मा, प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा, परीक्षा नियंत्रक ओम प्रकाश, वित्त अधिकारी सत्येंद्र कुमार, सहायक कुलसचिव पवन कुमार, अनूप केशरवानी, ममता सिंह, प्रोफेसर शुगम आनंद, डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान, प्रोफेसर लवकुश मिश्रा, प्रो. संजीव कुमार, प्रो. बृजेश पाठक, प्रो. अनिल गुप्ता, प्रो. संतोष बिहारी शर्मा, प्रोफेसर संजय चौधरी प्रोफेसर बीपी सिंह, प्रोफेसर मनु प्रताप सिंह, प्रोफेसर पीके सिंह, प्रोफेसर रणवीर सिंह, प्रो. भूपेंद्र शर्मा, प्रोफेसर अनिल वर्मा, प्रो. बीडी शुक्ला, प्रोफेसर शरद चंद्र उपाध्याय, विश्वविद्यालय के सलाहकार डॉ. अरुण कुमार दीक्षित, डॉ. अमित अग्रवाल, लेफ्टिनेंट रीता निगम, प्रोफेसर अर्चना सिंह, प्रोफेसर विनीता सिंह, डॉ. आनंद टाइटलर, डॉ. पुष्पेंद्र सिंह, डॉ. पूनम तिवारी, डॉ. रणवीर सिंह, डॉ. रश्मि शर्मा, अरविंद गुप्ता, सुखपाल तोमर, पूजा सक्सेना, तरुण, दीपक कुलश्रेष्ठ, दिनेश पचौरी आदि उपस्थित रहे। संचालन कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने किया।