नई दिल्ली। यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिका और पश्चिमी देशों की पाबंदियों से जूझ रहा रूस क्रूड ऑयल के लिए नए ग्राहक तलाश रहा है। वहीं, अपनी सहूलियत और जरूरत के हिसाब से भारत ऐसे करार की ओर बढ़ रहा है, जिससे न केवल महंगे क्रूड के बोझ से राहत मिले बल्कि रुपये की कीमत भी नहीं बढ़े। इन सब वजहों से भारत रूस की क्रूड डील लेने के करीब है।
रूसी क्रूड डील में खास बात यह है कि तेल का भुगतान डॉलर की जगह भारतीय रुपये और रूसी रूबल में किया जाएगा। वहीं, क्रूड ऑयल को भारतीय पोर्ट तक भेजने में शिपिंग और इंश्योरेंस की जिम्मेदारी भी रूस उठाएगा। इसका मतलब यह है कि भारत को दोतरफा फायदा होगा। अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली तक रूस की पहुंच रुकने से सौदा भारतीय रुपये और रूसी रूबल में करने पर बात हो रही है। भुगतान ऐसे भारतीय बैंकों से हो सकता है, जिनकी पश्चिमी देशों में ब्रांच न हो। ऐसा हुआ तो पेट्रो मार्केट में डॉलर का एकाधिकार टूटेगा। चीन भी सऊदी अरब से अपनी मुद्रा युआन में क्रूड खरीदने की बातचीत के अंतिम दौर में है। दरअसल, महंगे क्रूड से दुनियाभर में महंगाई का संकट है।
सस्ता क्रूड आता है तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाने का दबाव कम होगा। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है। इसका महज 2-3 प्रतिशत रूस से आता है। इस बीच अमेरिका ने कहा है कि अगर भारत रूस से क्रूड लेता है तो उसे आपत्ति नहीं है, क्योंकि इससे किसी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं होता। देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल ने रूस से 30 लाख बैरल क्रूड की खरीद रियायती कीमतों पर की है। सूत्रों ने बताया कि एक ट्रेडर के माध्यम से 20-25 डॉलर की छूट पर ब्रेंट क्रूड का सौदा हुआ है।