आगरा। भारतीय ज्ञान परम्परा भारतवर्ष की थाती है, जिस पर अनेकानेक प्रहार समय समय पर होते रहे हैं। वर्तमान में भी पाश्चात जगत में भारतीय ज्ञान परम्परा पर लगातार कुठाराघात किये गए, लेकिन भारतीय ज्ञान सम्पदा वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है, जिसकी जड़े ज्ञान के अक्षय स्रोत ऋगवेद से प्रवाहमान है। इसके पश्चात ही ज्ञान परम्परा पुराणों और उपनिषदों में दृष्टव्य होती है। यह ज्ञान भारतवर्ष की थाती है। इस ज्ञान परम्परा को नष्ट करने के उदेश्य से आतताइओं ने भारतीय पुस्तकालयों में आग लगा दी। यह बातें जयपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर जेपी सिंघल ने व्यक्त की। मौका था विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का, जिसका विषय था भारतीय ज्ञान परंपरा एवं आधुनिक समाज में चुनौतियां।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आशुरानी ने भारतीय ज्ञान परम्परा को सनातन प्रवाहयान ज्ञान परम्परा बताया और कहा कि भारतीय ज्ञान का सम्बन्ध केवल रोजगार से नहीं यह जीवन जीने की कला है। जिसके द्वारा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि भारतीय ज्ञान को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ पाठ्यक्रम में समावेश किया जाए। इस अवसर पर ख्यातीप्राप्त जादूगर डॉ. केसी पाण्डे ने विभिन्न प्रकार के जादू के खेलो का प्रदर्शन किया। इससे अविभूत होकर जादू कला की विद्या को भी पाठ्यकम में सम्मिलित करने के लिये कहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ डॉ. देवी सिंह नरवार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा द्वारा ही आधुनिक चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है और सारा समाधान उसी में है। गोष्ठी की प्रस्वावना प्रो. लवकुश मिश्र ने रखी। संगोष्ठी में प्रोफेसर वीडी शुक्ला, डॉ. कमल कौशिक, प्रो. एचएन सिंह, प्रो. अर्जुन सिंह, आरबीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय श्रीवास्तव, औटा महामन्त्री डॉ. भूपेन्द्र चिकारा प्राचार्य सेन्ट जोन्स कॉलेज डॉ. एसपी सिंह, आगरा, डॉ. रानी परिहार, डॉ. मनोज परिहार, डॉ. मनोज राठौर, डॉ. कौशल राना आदि उपस्थित रहे।