आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में अब बिना हंगामे के छात्रों की सुनवाई नहीं होती है। परीक्षा नियंत्रक के चक्कर काटते-काटते जब छात्र परेशान हो जाते हैं तो वे छात्र संगठनों का सहारा लेकर हंगामा करते हैं। इसके बाद आधा घंटे में ही सुनवाई हो जाती है। छात्रों की समस्या का तो समाधान हो जाता है लेकिन मैसेज गलत जाता है कि हंगामे के बाद सुनवाई हुई है। इधर इसके बाद भी परीक्षा नियंत्रक पर कोई असर नहीं पड़ता। आगे भी उनके द्वारा छात्रों को उलझाने के साथ चकरघिन्नी बनाया जाता है। सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि क्या यह इसलिए किया जाता है, जिससे छात्र यहां हंगामा करने के लिए आते रहें?
बता दें कि 28 फरवरी को परीक्षा नियंत्रक ने दो मार्च से प्राइवेट छात्रों के फॉर्म भरने को लिंक खुलने का आदेश जारी किया था। दस मार्च अंतिम तिथि रखी गई थी। अंतिम तिथि निकल गई और फॉर्म भरने को लिंक भी नहीं खुला। छात्र विवि के चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो गए। इसके बाद परीक्षा नियंत्रक ने फिर से आदेश निकाला और 21 मार्च तक फॉर्म भरने का मौका दिया, लेकिन लिंक फिर भी नहीं खुला। छात्र साइबर कैफे जा रहे हैं तो वहां पीजी कोर्स के द्वितीय वर्ष के छात्रों से प्रथम वर्ष का रोल नंबर मांगा जा रहा है। बीते वर्ष छात्र प्रमोट हो गए थे। इसलिए रोल नंबर अलॉट नहीं हुए। ऐसे में वे द्वितीय वर्ष का फॉर्म नहीं भर पा रहे। छात्र विवि में चक्कर लगा रहे हैं तो वहां परीक्षा नियंत्रक उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे। ऐसे में छात्र आक्रोशित हो रहे हैं। वे आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं।
परीक्षा नियंत्रक की कार्यशैली को लेकर छात्र संगठन भी आग बबूला हैं। वह जब से विवि में आए हैं बिना हंगामा के सुनवाई नहीं करते। बीते दिनों बीएएमएस के छात्रों को परीक्षाएं कराने के लिए हंगामा करना पड़ा था। विवि पांच साल में उनकी दो बार ही परीक्षाएं करा सका, जबकि उसे अभी तक उनकी बीएएमएस कंपलीट करा देनी चाहिए थी। तीसरे वर्ष की परीक्षा के लिए छात्र लंबे समय से परीक्षा नियंत्रक के चक्कर लगा रहे थे लेकिन परीक्षा नियंत्रक ने कोई सुनवाई नहीं की। इसके बाद उन्हें जमकर हंगामा करना पड़ा। हंगामा करते ही परीक्षा नियंत्रक ने आधा घंटे में स्कीम जारी कर दी। परीक्षा नियंत्रक हंगामे पर ही सुनवाई करते हैं यह देख प्राइवेट कोर्स के छात्र भी हंगामे की रणनीति बना रहे हैं, जिससे उनका भी फॉर्म भर जाए और भविष्य चौपट होने से बच जाए।
वीसी साहब, चार महीने से एक पेपर
का रिजल्ट नहीं निकाल पाया विवि
आगरा। एमएड के छात्र चार महीने से रिजल्ट के लिए विवि के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। परीक्षा नियंत्रक की कार्यशैली को लेकर वे भी आक्रोशित हैं। छात्र-छात्राएं सवाल खड़े कर रहे हैं कि परीक्षा नियंत्रक उनका भविष्य बनाने के लिए आए हैं या चौपट करने के लिए?
एमएड सत्र 2016-18 के तृतीय सेमिस्टर के एक पेपर में अधिकतर छात्र फेल हो गए थे। जबकि छात्रों के अन्य पेपर में अच्छे नंबर थे। छात्रों ने कॉपी सही तरीके से चेक नहीं होने का आरोप लगाया था। इधर कॉपी भी मांगी तो विवि ने कॉपी नहीं दी, जिससे परीक्षक की लापरवाही की पोल न खुल जाए। छात्रों ने कहा अगर कॉपी पुन: चेक नहीं करा रहे हो तो री एग्जाम ही करा दो। इसके लिए भी उन्हें हंगामा करना पड़ा। हंगामा होते ही 15 मिनट में परीक्षा नियंत्रक ने परीक्षा कराने का आदेश जारी कर दिया। दस नवंबर को परीक्षा तो करा दी लेकिन रिजल्ट आज तक जारी नहीं कर पाए हैं। अब रिजल्ट निकालने को यह छात्र फिर से हंगामा करने के लिए दो-तीन दिन में आने वाले हैं।
पीआरओ प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर का कहना है कि लिंक खुलने में कुछ समस्या आ रही है। जल्दी ही इसका समाधान कर दिया जाएगा। वहीं एमएड के छात्रों का रिजल्ट क्यों नहीं निकला है। वह इस बात की जानकारी कर रहे हैं।