आगरा। इरादतनगर में कुलदीप का अपहरण करने के बाद की गई हत्या सुर्खियों में छाई हुई है। कुलदीप को एक हत्यारोपी यह कह कर ले गया था कि चलो गिल्ली डंडा काट कर लाते हैं। वह जिस जगह पर कुलदीप ले गया था। वहां पहले से ही उसके 2 साथी मौजूद थे। तीनों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी पुलिस आज हत्या का पर्दाफाश करेगी।
गांव हज्जुपुरा के रहने वाले गब्बर के पुत्र कुलदीप का 23 जनवरी को अपहरण हुआ था। पुलिस की कई टीमें कुलदीप को खोजने में लगी हुई थी। अपहरण होने के कुछ दिन बाद ही कुलदीप के घर पर एक पत्र फेंका गया। इसमें लिखा गया था कि खैरागढ़ रोड पर सैया बस स्टैंड के पास वह 35 लाख लेकर आ जाएं। परिजन 35 लाख रुपए लेकर पहुंचे, लेकिन वहां पर कोई नहीं आया। दो दिन बाद फिर से कुलदीप के घर में एक पत्र फेंका गया। इसमें लिखा गया कि सरेन्धी से आगे जो पेट्रोल पंप है उसके पास में एक शीशम का पेड़ है, उस पर वह 25 लाख रुपये टांग दें। कुलदीप के पिता ने पेड़ पर शाम को 6:00 बजे जाकर 25 लाख रुपए टांग दिए। रात के 11:00 बजे तक पैसे टंगे रहे लेकिन कोई लेने नहीं आया। इसके बाद फिर से अगले दिन कुलदीप के घर में पत्र फेंका गया और कहा गया कि सुबह 10:00 बजे उसी पेड़ पर जाकर पैसे टांगने हैं। इस बार भी कोई पैसे लेने नहीं आया। कुलदीप के पिता गब्बर ने पड़ोसियों से कहा था कि उन्होंने दूसरी बार जो पैसे पेड़ पर टांगे थे उस थैले में एक पत्र भी रखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें कुलदीप के जिंदा होने का सबूत चाहिए। इधर तीसरा पत्र जब घर में फेंका गया था उसके साथ कुलदीप का टोपा भी फेंका गया था। जबकि अपहरणकर्ताओं पेड़ से पैसे वाला बैग लेकर नहीं गए थे फिर भी उन्हें पता था कि उसमें पत्र रखा हुआ है। इसके बाद ही गांव के लोगों पर हत्या का शक हो गया था। सूत्रों की मानें तो एसओजी और थाना पुलिस ने हत्यारोपियों को पकड़ने के लिए काफी मेहनत की। इन्होंने मुकेश, आशु और कन्हैया को पकड़ लिया। तीनों से पूछताछ हुई तो तीनों ने हत्या की बात कबूल की।
मुकेश ने बताया कि मैं गिल्ली डंडा लाने के बहाने कुलदीप को लेकर गया था। मैंने उसके पैर पकड़ लिए थे। आशु और कन्हैया ने उसका गला दबा दिया था, जिसके बाद उसकी हत्या हो गई। हमने उसके शव को एक गुफा में रख दिया था। बाद में उसे जमीन में गाड़ दिया। पुलिस ने पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? इस पर आशु ने बताया कि गब्बर के घर में 5 साल पहले मैंने जेवरात की चोरी की थी। हालांकि पुलिस के दबाव में मैंने जेवर वापस कर दिए थे, लेकिन इस मामले में गब्बर ने मेरी काफी बेइज्जती की थी। इसलिए मुझे अपनी बेइज्जती का बदला लेना था। मुकेश ने बताया कि मेरी बहन की ससुराल में मृत्यु हो गई थी। ससुराली जनों ने ढाई लाख रुपए समझौते के लिए गब्बर को दिए थे। गब्बर यह पैसे नहीं दे रहा था, जिसके बाद मैं उससे दुश्मनी मानने लगा था। कन्हैया, मुकेश का भांजा है। वह मुकेश के घर में ही रहता है। इसलिए उसने मुकेश का साथ दिया था।