आगरा। आठ नवम्बर से जूता उद्योग का तीन दिवसीय महाकुम्भ ‘मीट एट आगरा’ शुरू होगा। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। आगरा फुटवियर मैन्युफेक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैम्बर (एफमेक) द्वारा सींगना स्थित आगरा ट्रेड सेंटर पर यह आयोजित किया जाएगा।
एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि इस बार 35 से अधिक देशों के लगभग 200 से अधिक एग्जीबिटर्स शामिल हो रहे हैं। आगरा ट्रेड सेंटर में एक छत के नीचे विश्व का फुटवियर बाजार नजर आएगा। पूरन डावर ने कहा कि इस बार ताइवान का भी डेलिगेशन आ रहा है। आने वाले सालों में दुनिया भर में फुटवियर के व्यापार में तेजी आने का अंदेशा लगाया जा रहा है लेकिन दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत का फुटवियर उद्योग कई गुना ज्यादा तेजी से बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि इस फेयर में इस साल लगभग 6 हजार ट्रेड विजिटर्स और 20 हजार से अधिक फुटफॉल के आने की संभावना है। भारत विश्व की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है इसको रफ्तार देने में आगरा का जूता उद्योग अहम भूमिका निभा रहा है। इस प्रकार के आयोजन अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मददगार साबित होते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार और ओद्योगिक संगठनों के इन प्रयासों से मौजूदा 26 अरब डालर का भारतीय फुटवियर बाजार 2030 तक 47 अरब डालर तक हो सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारत में गैर-चमड़े के जूते जैसे खेल के जूते, दौड़ने के जूते, कैजुअल वियर और स्नीकर्स की मांग में हो रही वृद्धि का फायदा उठाकर हो सकती है।
कमेटी के चेयरमैन गोपाल गुप्ता ने कहा कि आगरा के जूता कारोबारियों के लिए खुशी की बात है कि वर्ल्र्ड फुटवियर कलेण्डर में शामिल ‘मीट एट आगरा’ का भारत के लोगों को ही नहीं दुनिया के 35 से अधिक देशों के जूता उद्योग से जुड़े कारोबारियों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस वार का ‘मीट एट आगरा’ कई मायनों में खास होगा। न्यू टेक्नोलाजी, न्यू इनोवेशंस और नेशनल-इंटरनेशनल मार्केट के न्यू ट्रेंड्स… फुटवियर इंडस्ट्री में आपकी बिजनेस ग्रोथ से जुड़े हर जरुरी सवाल का जबाव आपको इस फेयर में एक छत के नीचे मिलेगा।
एफमेक के कन्वीनर कैप्टन एएस राणा ने कहा कि आज हम चाइना के एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़े हैं। इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यह भारत की बारी है। टाटा, रिलायंस, वालमार्ट और फ्यूचर ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों ने चाइना से आयात पूरी तरह बंद कर दिया है। ये कंपनियां आज भारतीय प्रोडक्ट पर निर्भर हैं। यही कारण है कि हमारा घरेलू बाजार लगातार ग्रोथ हासिल कर रहा है।
टेक्नीकल सेशंस में दिखेगा जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य
एफमेक महासचिव राजीव वासन ने कहा कि फुटवियर कंपोनेंट इंडस्ट्री जब मजबूत होगी तभी अच्छा जूता बन सकता है। यह फेयर कंपोनेंट इंडस्ट्री के और मेन्युफक्चर्स के प्रोत्साहन में एक सेतु की तरह काम कर रहा है। फेयर में टेक्नीकल सेशंस भी होंगे जिनमें विशेषज्ञ विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे, जिनमें डिजाइन ट्रेंड्स, मैन्युफैक्चरिंग तकनीक, मार्केटिंग स्ट्रेटजी जैसे विषय शामिल हैं। खास बात यह है कि टेक्नीकल सेशंस में जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य दिखेगा जिसकी बुनियाद पर आप अपने कारोबार में भविष्य की दिशा तय कर सकते हैं।
भारत में फुटवियर पर प्रति व्यक्ति खर्च अन्य देशों की तुलना में है बहुत कम
एफमेक सचिव ललित अरोड़ा ने बताया कि भारत में जूतों-चप्पल पर खर्च अभी बेहद कम है, एक रिपोर्ट के अनुसार यहां इस पर प्रति व्यक्ति खर्च 1500 रुपए के लगभग रहता है जो दुनिया के बाकी बाजारों के मुकाबले काफी कम है। साथ ही भारतीय बाजारों में करीब 70 फीसदी हिस्से पर चमड़े के जूते चप्पलों का ही कब्जा है। इस उद्योग से 45 लाख लोग जुड़े हुए हैं। उनमें 40 फीसदी से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं।
मुख्य रूप से यह रहे मौजूद
इस मौके पर एफमेक के सुधीर गुप्ता, अनिरुद्ध तिवारी, एफएएफएम के अध्यक्ष कुलदीप कोहली, महासचिव नकुल मनचंदा, रोमी मगन, आस्मा के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह लवली आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।