आगरा। नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने नगर निगम की आय बढ़ाने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं। जूता कारखानों से निकलने वाली चमड़े व फोम की कतरन को एकत्रित करने के एवज में नगर निगम अब नियमानुसार यूजर चार्ज वसूल करेगा।
नगर के लोहामंडी, मंटोला, काजीपाड़ा, मच्छी मंडी, जगदीश पुरा, जटपुरा छीपीटोला और हरीपर्वत क्षेत्र के अलावा शहर के तमाम अन्य इलाकों में बड़ी संख्या में कारखानों के अंदर जूते बनाये जाते हैं। इन कारखानों में जूता बनाने के दौरान बचने वाली कतरन को इकट्ठा करने के लिए नगर निगम ने सत्रह वाहन लगाये हुए हैं जो रोजाना निकलने वाली लगभग पांच टन कतरन को ट्रांसपोर्ट नगर में इकट्ठी कर रहे हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम ने बताया कि इकट्ठी हो रही कतरन को री-साइकिल कर इसके रीयूज करने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसके लिए देश की कई कंपनियों से बातचीत की जा रही है कि इस वेस्ट मेटेरियल का किस तरह से उपयोग किया जाए। उनसे इस संबंध में आइडिया भी मांगे गये हैं। पूछा गया है कि इस कतरन का इस्तेमाल री-साइकिल कर खिलौने आदि भरने में हो सकता है या नहीं। हालांकि अभी कहीं से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल सका है लेकिन प्रयास जारी हैं।
कतरन एकत्रित करने से नाले चोक होने समस्या कम हुई
सहायक नगर आयुक्त ने बताया कि जूता कारखानेदार अभी तक चमड़े व फोम की कतरन को नालों में डाल कर भारी समस्या पैदा कर रहे थे। नाला काजी पाड़ा तो अक्सर कतरन की वजह से चोक होने पर बिजलीघर पर जलभराव का कारण बनता था। जब से नगर निगम ने कतरन को एकत्रित करना शुरु किया है तब से नाला चोक होने की समस्या के साथ जलभराव से काफी हद तक छुटकारा मिल गया है। इसके साथ ही कारखानेदारों को भी कतरन नाले में फेंकने पर जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गयी है।
जूता उद्योग का प्रमुख केंद्र होने के कारण ताजनगरी में कारखानों से निकलने वाली चमड़े व फोम की कतरन का निस्तारण बड़ी समस्या है। अभी तक इसका किसी भी प्रकार से उपयोग न होने के कारण इसे कारखानों द्वारा नालों में फेंका जा रहा था जिससे नालों के चोक होने से जलभराव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रहीं थीं लेकिन जब से नगर निगम ने कतरन उठवानी शुरु कर दी है। इससे नालों से होने वाली जलभराव की समस्या काफी हद तक कम हो गयी है।
अंकित खंडेलवाल,
नगर आयुक्त