आगरा। प्राचीन भारतीय मान्यताओं के अनुसार हमें प्रत्येक प्राणी एवं पौधों का संरक्षण करना चाहिए। क्योंकि प्रत्येक पौधे में एक विशिष्ट औषधीय गुण होता है तथा प्रत्येक प्राणी का इकोलॉजी तंत्र में अपना विशेष स्थान है। इनमें से कोई भी तंत्र अव्यवस्थित होता है तो पूरी तंत्र श्रृंखला नष्ट हो जाएगी।
यह कहना है गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के पूर्व कुलपति प्रो. बीडी जोशी का। वह आगरा कॉलेज, आगरा के जन्तु विज्ञान विभाग एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित “जैव विविधता में कमी एवं संरक्षण रणनीतियाँ” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि समाज तीन चीजों परंपरा, धर्म और कानून द्वारा पल्लवित व पोषित होता है। इसी के अंतर्गत हमको सेक्रेड इकोसिस्टम की भावना को आगे लेकर चलेंगे तो हमारा पर्यावरण अधिक सुरक्षित होगा। उन्होंने पवित्र पारिस्थितिकी तंत्र और वृक्षारोपण कार्यक्रम की अवधारणा के माध्यम से जैव विविधता संरक्षण को विस्तार से समझाया।
समारोह के मुख्य अतिथि प्राचार्य आरबीएस कॉलेज प्रोफेसर विजय श्रीवास्तव ने कालीदास के श्लोक से शुरुआत करते हुए बताया कि जैव विविधता हमारे अस्तित्व के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो अनुराग शुक्ल ने जैव विकास का क्रम समझाया और बताया कि किस प्रकार एक प्रजाति का जीवन दूसरी प्रजाति पर निर्भर है।
विशिष्ट वक्ता प्रो एनपी सिंह, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर ने मकड़ी के प्राकृतिक जैव नियन्त्रण रूप के बारे में व्याख्यान दिया। डा. गिरीश महेश्वरी ने ताजमहल में कीटों के आक्रमण के बारे में बताया। मीडिया समन्वयक प्रो. अमित अग्रवाल ने बताया कि संगोष्ठी में 150 से अधिक ओरल एवं पोस्टर शोध पत्र शोधार्थियों एवं छात्र छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए।
पांच तकनीकी सत्रों में प्रो. रजनीश अग्निहोत्री ने पौधों में टिशू कल्चर तकनीक के बारे में बताते हुए उसके महत्व को समझाया। आमंत्रित व्याख्यान डा. राजीव रंजन डीईआई, दयालबाग ने जैव विविधता के संरक्षण को समझाया।
संगोष्ठी संयोजक प्रो. अमिता सरकार ने स्वागत भाषण तथा आयोजन सचिव डा. उमेश शुक्ला ने मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों का परिचय दिया। संचालन डा. संध्या मान ने किया।
इस दौरान प्रो. मनोज रावत, प्रो. सुमन कपूर, प्रो. विश्वकान्त, डा. उमेश शुक्ला, डा. पीवी झा, प्रो. डीपी सिंह, डा. जीनेश कुमार, डा. सोनल सिंह, डा अचिंत वर्मा, डॉ. सत्यदेव शर्मा, डा. केशव सिंह, डा. आनंद प्रताप, अविनाश जैन, डा. दिव्या अग्रवाल, डा. प्रशांत पचोरी, डा. यशस्विता चौहान आदि उपस्थित रहे।