काठमांडू। नेपाल में भारत और अमेरिका के बढ़ते प्रभाव से घबराया चीन अब एक बार फिर से इस हिमालयी देश की सियासत में बड़ा खेल करने की तैयारी में जुट गया है। अमेरिका के एमसीसी प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बाद चीनी विदेश मंत्री जहां नेपाल की यात्रा पर जा रहा हैं, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन यूएमएल का एक प्रतिनिधिमंडल बीजिंग पहुंच चुका है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि चीन अब केपी ओली और उनके विरोधी प्रचंड के बीच समझौता कराने में जुट गया है। उधर, चीन के बढ़ते दखल के बीच अब नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा श्रीलंका का दौरा रोककर भारत के दौरे पर आ रहे हैं।
नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के प्रधानमंत्री देउबा तीन दिन की यात्रा पर एक अप्रैल को भारत रवाना होने जा रहे हैं। देउबा चीन के विदेश मंत्री वांग यी की नेपाल यात्रा के ठीक बाद भारत जा रहे हैं। भारत के दौरे की अहमियत को देखते हुए नेपाली प्रधानमंत्री बिमस्टेक की बैठक में हिस्सा लेने के लिए श्रीलंका नहीं जा रहे हैं। वह अब वर्चुअली इस बैठक को संबोधित करेंगे। माना जा रहा है कि पीएम मोदी और देउबा के बीच मुलाकात में चीन और अमेरिका के साथ रिश्तों को लेकर अहम चर्चा हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देउबा एक से तीन अप्रैल तक भारत के दौरे पर रहेंगे। उन्हें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली आने का निमंत्रण दिया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद देउबा की यह पहली विदेश यात्रा है। माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान सीमा पार रेलवे सेवा शुरू करने को लेकर समझौता हो सकता है। देउबा की यह भारत यात्रा चीनी विदेश मंत्री की काठमांडू यात्रा के ठीक बाद होने जा रही है। यह किसी नेपाली प्रधानमंत्री की चार साल बाद पहली भारत यात्रा है। इससे पहले ओली भारत आए थे लेकिन उनके कार्यकाल में भारत से संबंध बहुत खराब दौर में पहुंच गए थे।
नेपाली संसद के अमेरिकी सहायता एमसीसी को मंजूरी देने के बाद चीन भड़का हुआ है। चीन का मानना है कि उसके बेल्ट ऐंड रोड परियोजना की काट के लिए अमेरिका ने इसे शुरू किया है। अमेरिकी सहायता को मंजूरी देने के बाद अब चीन बीआरआई प्रोजेक्ट को शुरू करने को लेकर दबाव में बताया जा रहा है। इस बीच ओली की पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल चीन पहुंच गया है। इसका नेतृत्व पार्टी के वाइस चेयरमैन विष्णु प्रसाद पौडयाल कर रहे हैं। ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं कि ओली और प्रचंड के धड़े के बीच समझौता हो सकता है जिसकी तरफदारी चीन भी लंबे समय से कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो देउबा सरकार पर संकट आ जाएगा।