आगरा। आगरा कॉलेज प्राचार्य के खिलाफ लोहामंडी थाने में धोखाधड़ी सहित कई अन्य गंभीर धारा में दर्ज हुए मुकदमे को खत्म करने के लिए वह हाईकोर्ट गए हैं। हाई कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। हाई कोर्ट में वह मामले की तुरंत सुनवाई चाहते थे। हाईकोर्ट ने क्रॉनिक फ्रॉड बताकर मना कर दिया। प्राचार्य ने हाईकोर्ट में यह भी कहा है कि उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय उन्हें गिरफ्तार कराना चाहते हैं।
कोतवाली के रहने वाले सुभाष ढल के द्वारा याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि 22 अक्टूबर 2021 को प्रो. अनुराग शुक्ला को आगरा कॉलेज में प्राचार्य पद पर पदभार ग्रहण कराया गया था। प्रोफेसर अनुराग शुक्ला द्वारा आयोग को फर्जी शैक्षिक अनुभव के दस्तावेज, प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर भ्रमित किया गया और उक्त पद को ग्रहण किया गया जबकि वह इस पद के योग्य उम्मीदवार नहीं थे। प्रोफेसर अनुराग शुक्ला को यूजी स्तर पर अध्यापन का अनुभव है, जबकि प्राचार्य पद के लिए शोध कराने का अनुभव एक अनिवार्य योग्यता है। याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा था कि 18 अप्रैल 2023 को एक अन्य झूठा प्रमाण पत्र निर्मित किया गया था, जिसमें उन्होंने आगरा कॉलेज के शिक्षकों के संगठन स्थल स्टाफ क्लब में सचिव पद पर हारे हुए अपने करीबी डॉ. उमेश शुक्ला को स्टाफ क्लब का सचिव प्रमाणित किया और उसी प्रमाण पत्र के आधार पर डॉ उमेश शुक्ला ने डॉ अनुराग शुक्ला से मिलकर फर्जी स्टाफ क्लब को चिट फंड कार्यालय में पंजीकृत करा लिया। यह आरोप भी लगाए गए कि प्रोफेसर अनुराग शुक्ला ने अपने कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपए की वित्तीय अनियमितता की। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर लोहामंडी थाने में गंभीर धारा में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया था। मुकदमा खत्म कराने के लिए प्राचार्य प्रोफेसर अनुराग हाई कोर्ट गए। प्राचार्य के अधिवक्ता की ओर से दलील दी गई कि उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय प्राचार्य को गिरफ्तार करना चाहते हैं। इसलिए आज तुरंत सुनवाई किए जाने की जरूरत है। सुभाष ढल के अधिवक्ता ने कहा कि उच्च शिक्षा आयोग में प्राचार्य ने फर्जी डॉक्यूमेंट दाखिल किए हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने इसे क्रॉनिक फ्रॉड बताया और याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से मना कर दिया।