आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री लेने के लिए एक छात्र ने 17 साल तक चक्कर लगाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद छात्र ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह भी कहा कि वह भी इस विश्वविद्यालय से बिना पैसे के डिग्री नहीं दिला सकते हैं। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। यह देख छात्र ने राष्ट्रपति से सपरिवार आत्महत्या करने की अनुमति मांगी। आत्मदाह की अनुमति मांगने के बाद इंटेलिजेंस ने उससे संपर्क कर कहा कि 15 दिन में उसे उसकी डिग्री मिल जाएगी। लंबा समय बीतने के बाद भी डिग्री नहीं मिलने पर छात्र हाईकोर्ट चला गया। हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को छात्र को डिग्री दिए जाने के आदेश दिए हैं। यह आदेश लेकर जब वह विश्वविद्यालय पहुंचा तो उसका आरोप है कि उससे 20,000 रिश्वत मांगी गई। छात्र का यह भी आरोप है कि बाबू ने उससे कहा कि रिश्वत का पैसा ऊपर तक जाता है।
छात्र अमित कुमार ने आरबीएस कॉलेज से सत्र 2003 में बीएड किया है। छात्र ने अपनी ओरिजिनल डिग्री के लिए विश्वविद्यालय में आवेदन किया। यहां से डिग्री नहीं मिलने पर उसने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कुलाधिपति, मुख्य सचिव उच्च शिक्षा को करीब 16 पत्र लिखे। इसके बावजूद भी उसकी डिग्री नहीं मिली। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उसने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थिति इतनी खराब है कि वह भी बिना पैसे के यहां से डिग्री नहीं दिलवा सकते हैं। इतना सब लिखने के बाद भी डिग्री नहीं मिलने पर छात्र ने राष्ट्रपति से सपरिवार आत्महत्या की अनुमति मांगी। आत्महत्या की अनुमति मांगने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय की इंटेलिजेंस ने उससे संपर्क किया और कहा कि विश्वविद्यालय में उनकी बात हुई है। 15 दिन में उसे उसकी डिग्री मिल जाएगी। लंबा समय बीतने के बाद भी डिग्री नहीं मिलने पर वह अंत में हाईकोर्ट चला गया। छात्र का कहना है कि हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं कि वह अपनी मूल अंकतालिका और प्रोविजनल डिग्री विश्वविद्यालय में प्रत्यावेदन के साथ जमा कर दे। विश्वविद्यालय एक महीने के अंदर जांच कर उसे उसकी ओरिजिनल डिग्री देगा। छात्र का कहना है कि वह अपनी प्रोविजनल डिग्री और अंकतालिका जमा करने के लिए सोमवार को विश्वविद्यालय में गया था। वहां उससे परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में तैनात सुनील वार्ष्णेय नाम के बाबू ने कहा कि डिग्री के लिए 20,000 रुपए लगेंगे। सत्ता परिवर्तन हो गया है। नए वीसी आ गए हैं। यह पैसा ऊपर तक जाता है। प्रत्यावेदन लिए जाने के ही 5,000 रुपए लगेंगे। इसमें मेरे 1000, परीक्षा नियंत्रक अजय कृष्ण यादव के 4000 रुपए हैं। वहीं पूरी डिग्री बनवाने के 20,000 रुपए लगेंगे। छात्र ने पैसे देने से मना किया तो बाबू ने प्रत्यावेदन पर किए हस्ताक्षर काट दिए और प्रत्यावेदन उसे वापस कर दिया। छात्र का कहना है कि उसने बाबू से कहा कि वह उसे परीक्षा नियंत्रक से मिलवा दे। इस पर बाबू ने कहा कि परीक्षा नियंत्रक ने मुझसे यह सब कहने के लिए कहा है। छात्र का यह भी आरोप है कि बाबू ने उससे कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों को यहां पर कोई नहीं पूछता है, जब तक पैसे नहीं दोगे डिग्री नहीं बनेगी। बाबू द्वारा पैसे मांगे जाने कि जब वह प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा से शिकायत करने गया तो उन्होंने भी उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसके बाद छात्र ने पूरे घटनाक्रम की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कुलाधिपति, मुख्य सचिव उच्च शिक्षा से शिकायत की है।
इस संबंध में पीआरओ प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर का कहना है कि प्रकरण की जांच की जा रही है। यथाशीघ्र विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। छात्र से जिन कर्मचारियों ने पैसे मांगे हैं और उसका उत्पीड़न किया है। जांच में दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।