-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में गुरुवार को कार्यपरिषद की बैठक में पूर्व कुलपति के द्वारा संविदा और आर्यभट्ट पर की गई नियुक्तियों पर मोहर लग गई, जबकि एसटीएफ उनकी जांच कर रही है। दोनों ही मामलों में एक भी सदस्य नहीं बोल सका। बस यह कह दिया गया कि आगे से जो नियुक्ति होंगी वह पारदर्शिता के साथ होंगी। बैठक में सबसे ज्यादा विरोध पूर्व कुलपति द्वारा बनाए गए निदेशक को लेकर हुआ। क्योंकि इसमें आवासीय विंग के शिक्षकों का हित छुपा हुआ था। इस मामले में कुलपति ने पूर्व कुलपति पाठक के द्वारा बनाए गए शिक्षकों को ही निदेशक बने रहने की बात कही, लेकिन सदस्यों ने विरोध किया तो कुलपति को बैकफुट पर आना पड़ा।
गुरुवार को कार्यपरिषद की बैठक थी। यह बैठक सुबह 11:30 बजे से 3:45 बजे तक चली। बैठक में डॉ. अजय त्यागी ने प्रोफेसर अजय तनेजा से पूछा कि आपने मिनट्स पर हस्ताक्षर क्यों कर दिए। इस सवाल पर वह चुप्पी साध गए। डॉ. रोशन लाल ने कहा कि जवाब तो देना पड़ेगा, जवाब दीजिए। इसके बाद प्रोफेसर अजय तनेजा बोले कि मिनिट्स में कुछ त्रुटियां थीं। इसलिए उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए।
डॉ. अजय त्यागी ने प्रोफेसर अजय तनेजा से यह भी पूछा कि पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने जो निदेशक बनाए थे क्या वह आपके प्रस्ताव पर बने थे। इस पर प्रोफेसर अजय तनेजा ने कहा कि प्रोफेसर वीके सारस्वत और प्रो. मनु प्रताप सिंह कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक से मिले थे और उन्होंने कहा था कि इस रोटेशन में निदेशक बना दिए जाएं। इस पर प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर ने कहा कि दुनिया में ऐसा कौन सा अध्यादेश है जहां पर स्थाई शिक्षक को हटाकर संविदा शिक्षक को निदेशक बनाया जाता है। मामले को गर्म होता देखकर कुलपति प्रोफेसर आशु रानी बोलीं प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने जो निदेशक बनाए थे वहीं रहने दिए जाएं क्योंकि एसटीएफ विश्वविद्यालय में जांच कर रही है। सभी सदस्यों ने कुलपति की इस बात का विरोध कर दिया, जिसके बाद निर्णय हुआ कि आईईटी को छोड़कर पदमचंद, केएमआई, आईटीएचएम में जो निदेशक पूर्व में थे वही रहेंगे। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि हरिचरण लाल कॉलेज में तीन सत्रों के लिए प्रवेश रोक दिए जाएंगे।
डॉ. रोशन लाल ने बैठक में यह भी कहा कि प्रोफेसर विनय कुमार पाठक किसी की सुनते नहीं थे, ना ही एजेंडा देते थे और ना ही किसी की मिनिट्स। वह अपनी मनमानी पर उतारू रहते थे। इधर लंच के दौरान कुलपति प्रो. आशु रानी ने कहा कि विश्वविद्यालय में मीडिया बहुत हावी है। इस पर एक सदस्य ने कहा कि मैडम यहां पर गलत हो रहा है, तभी तो लिखते हैं। डीईआई के बारे में मीडिया क्यों नहीं लिखता है? प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा बोले वहां मीडिया को घुसने नहीं दिया जाता। यहां घुसने दिया जाता है। प्रोफेसर अजय तनेजा ने यह भी कहा कि कार्य परिषद की मिनिट्स पर मेरे हस्ताक्षर थे। यह बात भी मीडिया को किसी कार्य परिषद के सदस्य ने ही बताई है।