आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में जिन छात्रों की किसी कारणवश सालों से पीएचडी लटकी हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन उन छात्रों की पीएचडी पूरी कराएगा। इसके बाद वे अपने नाम के आगे डॉक्टर लगा सकेंगे।
शोध विभाग ने अधिष्ठाता शोध प्रो. विनीता सिंह को अवगत कराया था कि वर्ष 2014 से पहले के ऐसे 63 शोधार्थी हैं, जिनका शोध प्रबंध जमा हो चुका है। मूल्यांकन की रिपोर्ट आ चुकी है, लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी मौखिकी नहीं हो सकी है। इस अवधि में कई शोध निर्देशकों का निधन भी हो चुका है। शोध विभाग द्वारा लगातार प्रयास करने के बाद भी इन शोधार्थियों से संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा है । यह वह शोधार्थी हैं, जिनका पंजीकरण वर्ष 2009 से पूर्व हुआ था।
प्रोफेसर विनीता सिंह द्वारा इस प्रकरण को विश्वविद्यालय की शोध सलाहकार समिति (रिसर्च एडवाइजरी कमेटी ) में प्रस्तुत किया गया था। समिति में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि ऐसे सभी शोधार्थियों का नाम, शोध विषय, निर्देशक का नाम सहित पूर्ण विवरण विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाए, जिससे वे विश्वविद्यालय संपर्क कर सकें।
कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक द्वारा विश्वविद्यालय की शोध सलाहकार समिति की संस्तुतियों को अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है। कुलपति ने निर्देश दिया है कि छात्र हित में यथाशीघ्र सभी शोधार्थियों की मौखिकी संपन्न कराई जाए और इन सभी लंबित प्रकरणों का निस्तारण किया जाए। पुराने होने के कारण जिन शोध निर्देशकों का निधन हो चुका है, ऐसे विषयों की मौखिकी संबंधित विषय के संयोजकों की देखरेख में कराई जाएगी।
जनसंपर्क अधिकारी प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर ने बताया कि यदि किसी शोधार्थी अथवा उसके शोध निर्देशक को कोई समस्या आती है तो वह अधिष्ठाता शोध के मोबाइल नंबर 9410002811 पर संपर्क कर सकते हैं ।