-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में निर्माण कार्यों के लिए भुगतान कर दिया जाता है, लेकिन मौके पर निर्माण कार्य तो दूर एक ईंट भी दिखाई नहीं देती। ऐसा ही एक घोटाला और सामने आया है। पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के कार्यकाल में तीन सिक्योरिटी रूम के लिए निर्माण एजेंसी को भुगतान किया गया था। इसमें से मौके पर दो ही बनाई गई हैं। एक का अभी तक अता-पता नहीं है।
विश्वविद्यालय में अब तक कई ऐसे खेल सामने आ चुके हैं। जहां करोड़ों रुपए का भुगतान हो गया है और काम हुआ ही नहीं। एसटीएफ के आने के बाद काम हो रहे हैं। एक सिक्योरिटी रूम घोटाला और उजागर हुआ है। पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के कार्यकाल में तीन छोटे-छोटे सिक्योरिटी रूम बनाने के लिए 10 लाख रुपए का भुगतान हुआ। मौके पर दो सिक्योरिटी रूम ही बनाए गए जो कि बृहस्पति भवन और केएमआई के बराबर में हैं। तीसरा सिक्योरिटी रूम जो कि मुख्य द्वार पर बनना था। वह अभी तक गायब है। सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि छोटे-छोटे सिक्योरिटी रूम बनाए जाने के लिये इतना पैसा क्यों दे दिया गया? कर्मचारी नेता डॉ. आनंद टाइटलर का कहना है कि एक सिक्योरिटी रूम में 60 से 70 हजार का खर्चा आया होगा और विश्वविद्यालय ने करीब तीन लाख 20 हजार रुपए दिए हैं।
बीमारी का हवाला देने वाले प्रोफेसर साहब मरम्मत कराने में जुटे
आगरा। एक प्रोफेसर से एसटीएफ ने संस्कृति भवन और शिवाजी मंडप दिखाने के लिए कहा था। प्रोफेसर ने कहा था कि उनकी तबीयत खराब है। सूत्रों का कहना है कि प्रोफेसर साहब टीम के आने से पहले उसकी मरम्मत करा रहे हैं।