-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति के सामने प्रोफेसरों ने मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है। यह मोर्चा पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के गलत कार्यों पर लीपापोती करने के प्रयासों के मामलों सिलसिले में खोला गया है। प्रोफेसरों ने कुलपति को लिखे पत्र में कहा है कि विश्वविद्यालय में कई असंवैधानिक कार्य हो रहे हैं। इस संबंध में कई पत्र भी लिखे जा चुके हैं, लेकिन ना तो कोई कार्यवाही हुई ना ही कोई जवाब दिया गया है। अगर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उन्हें कुलाधिपति और मुख्यमंत्री को लिखने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
बता दें कि पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के द्वारा कई नियम विरुद्ध कार्य किए गए थे। एसटीएफ ने भी जांच में इनकी पुष्टि की है और मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप दी है। पूर्व कुलपति के गलत कार्यों को गलत नहीं कहने पर विश्वविद्यालय में विरोध शुरू हो गया है। सूत्रों की मानें तो पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक बीएचएमएस कोर्स का नियम विरुद्ध पुनर्मूल्यांकन करा गए थे। 19 नवंबर को हुई परीक्षा समिति में जब यह विषय आया था तो सभी सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई थी। प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर ने कुलपति प्रोफेसर आशु रानी से कहा था कि बीएचएमएस का पुनर्मूल्यांकन गलत हुआ है। साथ ही मई-जून के बाद कई परीक्षा समिति हो गई हैं लेकिन अब नवंबर में यह प्रस्ताव क्यों लेकर आया जा रहा है। प्रो. प्रदीप श्रीधर ने पुनर्मूल्यांकन वाली पत्रावली भी देखने के लिए मांगी थी। जब उन्हें पत्रावली दिखाई गई थी तो उस पर प्रोफेसर अजय तनेजा और परीक्षा नियंत्रक ओम प्रकाश के द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था उसमें डेट में कटिंग थी, जिसके चलते काफी विरोध हुआ था। सदस्यों ने कहा था कि एसटीएफ की जांच चल रही है और विश्वविद्यालय में गलत काम हो रहे हैं। सभी सदस्यों ने अनुमोदन देने से मना कर दिया था। इधर परीक्षा समिति की जब मिनिट्स आई तो उसमें गोलमोल लिख दिया गया। डेढ़ घंटे तक चली बहस का कोई जिक्र नहीं किया गया।
विशेष सूत्रों की मानें तो प्रोफेसर वीके सारस्वत व प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर ने बीएचएमएस मामले में हुए खेल को लेकर पत्र के माध्यम से विरोध जताया है। साथ ही कार्यपरिषद में पूर्व वाले निदेशक बने रहेंगे। यह प्रस्ताव पास हुआ था। पत्र जारी नहीं होने पर भी आपत्ति जताई है। प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर के द्वारा पूर्व में भी कई पत्र लिखकर कार्यवाही करने के साथ जवाब मांगा गया लेकिन कुलपति की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला है। इसके बाद प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर और प्रोफेसर वीके सारस्वत ने मिलकर एक कड़ा पत्र कुलपति को लिखा है। पत्र कुलपति सचिवालय में बम की तरह फूटा है। पत्र में लिखा है कि विश्वविद्यालय में कई असंवैधानिक कार्य हो रहे हैं। इस संबंध में पूर्व में कई पत्र लिखे जा चुके हैं लेकिन ना तो कोई कार्यवाही हुई है ना ही आप की ओर से कोई जवाब दिया गया है। अगर कार्रवाई नहीं हुई तो वह कुलाधिपति और मुख्यमंत्री को लिखने के लिए मजबूर होंगे। इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की ही होगी।
एसटीएफ को प्रत्यावेदन देने पर नाराज हुईं कुलपति
आगरा। सूत्रों की माने तो एक प्रोफेसर के द्वारा एसटीएफ को पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के कई फर्जीवाड़े से साक्ष्यों सहित अवगत कराया गया था। सूत्रों की मानें तो कुलपति ने कुलसचिव के माध्यम से प्रोफेसर को पत्र जारी करा दिया कि उन्होंने किसकी अनुमति से एसटीएफ को प्रत्यावेदन दिया। यह पत्र जारी होने के बाद विश्वविद्यालय की मानसिकता पर सवाल खड़े हो गए हैं कि वह पूर्व कुलपति को बचाने के लिए किस तरीके से लगा हुआ है। एसटीएफ ने भी पत्र का संज्ञान ले लिया है।
पुनर्मूल्यांकन की जगह चैलेंज इवेलुएशन होना था, करीब एक करोड़ की वित्तीय हानि
आगरा। विश्वविद्यालय को पुनर्मूल्यांकन की जगह चैलेंज इवेलुएशन कराना था। चैलेंज इवेलुएशन में एक कॉपी के एवोल्यूशन कराने की फीस तीन हजार रुपये है। 1400 से 1500 छात्र पुनर्मूल्यांकन में पास कर दिए गए हैं। अगर इनसे चैलेंज इवेलुएशन का आवेदन कराकर फीस ली जाती तो विश्वविद्यालय के कोष में करीब एक करोड रुपए बढ़ जाता, लेकिन पूर्व कुलपति की तानाशाही के चलते विश्वविद्यालय को वित्तीय हानि हो गई। एक हैरान करने वाली बात यह भी है कि मुख्य रिजल्ट में केवल 22 प्रतिशत छात्र पास हुए थे। पुनर्मूल्यांकन में 100 प्रतिशत पास कर दिए गए।