आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में पांच साल बाद हो रहे कर्मचारी संघ चुनाव को लेकर काफी रौनक है। विभिन्न पदों पर खड़े हुए प्रत्याशी जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कुछ प्रत्याशियों के बीच में आपसी संबंध सही नहीं होने की वजह से उन्होंने चुनाव को प्रतिष्ठा पर ले लिया है। वह जमकर पैसा बहा रहे हैं। सूत्रों का कहना है की दाल बाटी से लेकर दारू पार्टी तक का इंतजाम किया जा रहा है। कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जो दोनों तरफ पार्टी का मजा ले रहे हैं। इनका वोट किसे मिलेगा यह प्रत्याशी भी नहीं समझ पा रहे हैं।
कर्मचारी संघ चुनाव कराने के लिए कर्मचारी नेता अनिल श्रीवास्तव हाई कोर्ट में गए थे। हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के अंदर चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में 18 सितंबर को चुनाव को मतदान कराया जा रहा है। चुनाव के लिए पांच पदों पर 20 प्रत्याशी खड़े हुए हैं। अध्यक्ष और महामंत्री पद पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। कई साल तक अध्यक्ष पद पर कब्जा रखने वाले अखिलेश चौधरी इस बार फिर खड़े हुए हैं। इसी तरह कई बार जीत का परचम लहराने वाले अरविंद गुप्ता फिर से महामंत्री पद पर खड़े हुए हैं।
अध्यक्ष पद की बात करें तो इस पर अखिलेश चौधरी, अनिल श्रीवास्तव, ब्रिज किशोर शर्मा, नवीन अग्रवाल खड़े हुए हैं। चारों के द्वारा ही जीत पाने को जी तोड़ मेहनत की जा रही है। अखिलेश चौधरी के पास जीत का पुराना अनुभव है तो अनिल श्रीवास्तव के पास दाव पेच खेलने और सहानुभूति बटोरने का। नवीन अग्रवाल भी व्यवहार के मामले में कम नहीं है। ऐसे में मामला त्रिकोणीय है। महामंत्री पद की बात करें तो इस पर अरविंद गुप्ता, बृजेश वर्मा, संजय चौहान, शिव गोविंद भदोरिया खड़े हुए हैं। अरविंद गुप्ता कई बार महामंत्री पद पर जीत हासिल कर चुके हैं। वह सरल, सहज और मृदु भाषी माने जाते हैं। यही कारण है कर्मचारियों ने उन पर हर बार भरोसा किया है। लेकिन इस बार महामंत्री पद पर मुकाबला कड़ा बताया जा रहा है। इसके पीछे कारण है कि अन्य तीन उम्मीदवार भी कर्मचारियों में अपनी पकड़ रखते हैं। संजय चौहान ने पिछले चुनाव में अच्छी फाइट दी थी। लगातार पिछले पांच साल से वह कर्मचारियों के बीच में प्रचार कर रहे हैं। बृजेश कुमार वर्मा जानकारी रखने वाले कर्मचारियों में गिने जाते हैं। ऐसे में उन्हें भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। उपाध्यक्ष पद पर आशु सिंह, निखिल शर्मा, सतीश मौर्य, सुमित चौधरी खड़े हुए हैं। निखिल शर्मा युवा उम्मीदवार हैं। वह कर्मचारियों के बीच में लगातार बने रहते हैं। आशु सिंह और सुमित चौधरी भी सक्रियता के मामले में कम नहीं है। सुमित चौधरी पूर्व में अनुबंध कर्मचारी थे बाद में स्थाई हो गए। उनके भाई नरेश चौधरी भी विश्वविद्यालय में ही हैं। सयुंक्त सचिव पद पर कालीचरण यादव, कुलदीप यादव, नीलम शर्मा, सौरभ शर्मा, ममता शर्मा खड़े हुए हैं। दोनों महिला प्रत्याशी भी जीतने के लिए पूरे प्रयास कर रही हैं। नीलम शर्मा के द्वारा एक-एक कर्मचारी के घर पर जाकर वोट मांगा जा रहा है। कोषाध्यक्ष पद पर रोहित शर्मा, शशांक सिंह, मलखान सिंह खड़े हुए हैं। रोहित कर्मचारियों के बीच में अच्छी पकड़ रखते हैं। मलखान सिंह और शशांक सिंह उन्हें टक्कर देने में लगे हुए हैं।
कर्मचारियों के मजे, महंगी ब्रांड की शराब पीने को मिल रही
सूत्रों का कहना है कि कुछ प्रत्याशियों के द्वारा रोजाना 40 से 50 हजार का खर्चा किया जा रहा है। महंगी से महंगी शराब कर्मचारियों के बीच में बांटी जा रही है। एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया अगर चुनाव लंबा खिंच जाता तो अच्छा रहता रोजाना महंगी शराब पीने को मिल जाती। एक कर्मचारी के द्वारा तो घर-घर जाकर एक-एक कर्मचारी से संपर्क कर उन्हें गिफ्ट भी दिया जा रहा है, जिससे वह उन्हें अपना वोट दें।