-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय एक छात्र को 13 साल से डिग्री के लिए परेशान कर रहा है। कोर्ट के आदेश पर भी उसे डिग्री नहीं दी जा रही है। छात्र ने कोर्ट से मांग की है कि उसे डिग्री दिए जाने की तिथि तक रोजाना हजार रुपए जुर्माना राशि भी दिलाई जाए। इधर मामले में कोर्ट ने कुलपति और सहायक कुलसचिव को धारा 27 के तहत नोटिस जारी करते हुए 28 मार्च को तलब किया है।
आलोक सक्सेना निवासी एटा ने वर्ष 2004 में एमए हिंदी विषय में उत्तीर्ण किया। छात्र ने अपनी मूल डिग्री के लिए विश्वविद्यालय में आवेदन किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने उससे कई चक्कर लगवाए फिर भी डिग्री नहीं दी। यह देख छात्र ने दुखी होकर एटा की कोर्ट में वर्ष 2008 में डिग्री के लिए याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने 28 अगस्त 2009 को आदेश पारित करते हुए दो महीने के अंदर छात्रों को डिग्री दिए जाने के विश्वविद्यालय प्रशासन को आदेश दिये, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसे डिग्री नहीं दी। छात्र ने कोर्ट से गुहार लगाई कि उसे डिग्री दिए जाने की तिथि तक रोजाना हजार रुपये की जुर्माना राशि दिलाई जाए।
इधर 13 साल में भी छात्र को डिग्री नहीं दिए जाने पर कोर्ट ने 10 फरवरी 2022 को कुलपति और सहायक कुलसचिव को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए आदेशित किया था। विधि विभाग ने यह बात वर्तमान कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को सुनवाई की तिथि से पहले अवगत कराई। कुलपति ने विश्वविद्यालय अधिवक्ता की जगह एक बाबू को कोर्ट में पैरवी करने के लिए भेज दिया। बाबू कोर्ट में कोई मजबूत दलील नहीं दे सका। कोर्ट ने बाबू को फटकार लगाते हुए विश्वविद्यालय को एक और अवसर देते हुए 28 मार्च को कुलपति और सहायक कुलसचिव को हाजिर होने के लिए धारा 27 का नोटिस जारी कर दिया है।