ऋषि चौहान
एटा। मोदी सरकार की कोशिशों के चलते यूक्रेन से लगातार मेडिकल छात्र वापस घर लौटकर आ रहे हैं। इन छात्रों की घर वापसी तो हो गई है लेकिन उनके सामने यक्ष प्रश्न यह है कि यदि यूक्रेन में शांति नहीं लौटी और कॉलेज नहीं खुले तो उनकी आगे की पढ़ाई का क्या होगा?
हालांकि यूक्रेन की यूनिवर्सिटी ने मेडिकल छात्रों की इंटर्नशिप संबंधित देशों में कराने का ऐलान कर दिया है। इससे मेडिकल छात्रों की परेशानी कम दिख रही है।
यूक्रेन से लौटे कासगंज के शोभित माहेश्वरी ने आज संवाददाता से बातचीत में बताया कि हम सभी छात्रों के दिमाग में बस यही प्रश्न घूम रहा है कि हमारी आगे की पढ़ाई का क्या होगा।
शोभित का कहना है कि उसका दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ रहा था। 24 फरवरी को जिस दिन युद्ध शुरू हुआ उसी शाम 5:00 बजे उसकी घर लौटने के लिए फ्लाइट थी लेकिन 3 घंटे पहले बारिश शुरू हो गई और उसका घर लौटना टल गया, उसने बताया कि कीव में रहकर उसने जैसे तैसे 3 दिन गुजारे। 27 फरवरी को वह हंगरी जाना चाह रहा था, लेकिन पहुंचा पोलैंड। परेशानियों की धुंध पोलैंड जाकर छंट गयी। वहां उसे सुविधाएं मिली और जनरल वीके सिंह की अगुवाई में भारत लौटने का मौका भी मिला। शोभित ने बताया कि ट्रेन पर चढ़ने वालों की भीड़ बहुत थी। इसलिए वह सॉकेट जॉइंट पर खड़े होकर पोलैंड आया और वहां से अब घर आ गया है। मोदी सरकार के लिए उसके मन में बेहद सम्मान है।