आगरा। बीपीएड के एक छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर गोपनीय विभाग के पूर्व प्रभारी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जेल भेज दिया है। मामले में प्रति कुलपति सहित कई अन्य शिक्षाविदों के खिलाफ भी उन्हें दोषी मानते हुए चार्जशीट दाखिल हुई थी। इन सभी की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
लक्ष्मी कुमार पुत्र संत निवासी अतरौली के द्वारा बीपीएड सत्र 2013-14 में प्रवेश लिया गया था। छात्र ने तत्कालीन कुलसचिव केएन सिंह से शिकायत की थी कि आगरा कॉलेज में बीपीएड की हुई प्रयोगात्मक परीक्षा में वह उपस्थित रहा था, लेकिन रिजल्ट में अनुपस्थित आया है। छात्र ने पैसे नहीं दिए थे। इसलिए उसे प्रैक्टिकल में नंबर नहीं दिए गए हैं। शिकायत पर तत्कालीन कुलसचिव ने गोपनीय विभाग के तत्कालीन प्रभारी अनिल पालीवाल से गोपनीय विभाग में मौजूद परीक्षकों द्वारा दिए गए नंबर की फॉइल मांगी गई। इसमें छात्र को नंबर तो दिए गए थे लेकिन दिए गए नंबरों के ऊपर फ्लूड( व्हाइटनर उर्फ सफेदा) लगा हुआ था। यह देख तत्कालीन कुलसचिव भी आश्चर्यचकित हो गए थे। तत्कालीन कुलसचिव के द्वारा आगरा कॉलेज में खेलकूद विभाग के डॉक्टर डीपी शर्मा, रघुवीर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचार्य से फॉइल की प्रति मांगी गई लेकिन उन्होंने उपलब्ध नहीं कराई। इसके बाद तत्कालीन कुलसचिव के द्वारा दो अगस्त 2018 को हरीपर्वत थाने में मुकदमा दर्ज कराए जाने के लिए तहरीर दी गई। तहरीर पर पुलिस ने अनिल पालीवाल, डॉक्टर डीपी शर्मा, रघुवीर शरण कॉलेज के प्राचार्य सहित अन्य एक व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा में मुकदमा पंजीकृत कर लिया। मुकदमा दर्ज होने के बाद जब उसकी विवेचना हुई तो विवेचना में प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा, गोपनीय विभाग के पूर्व प्रभारी अनिल पालीवाल, आगरा कॉलेज के बीपीएड प्रयोगात्मक परीक्षा के समन्वयक डॉ. डीपी शर्मा, रघुवीर शरण डिग्री कॉलेज सिकंदरा के प्राचार्य कृष्ण कुमार शर्मा को दोषी माना। प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा उस समय पर्यवेक्षक के रूप में परीक्षा कराने के लिए गए थे उनकी मौजूदगी में छात्र को नंबर देकर कैसे अनुपस्थित कर दिया गया। इसके लिए उन्हें भी दोषी माना गया था। चार्जशीट दाखिल होने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सम्मन जारी किए थे। यह जारी होने के बाद भी आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। अनिल कुमार पालीवाल ने अपनी जमानत कराने के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उक्त प्रकरण को गंभीर मानते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए जेल भेज दिया है। अनिल पालीवाल के जेल जाने के बाद प्रति कुलपति सहित अन्य लोगों की भी हवाइयां उड़ी हुई है।