ऋषि चौहान
एटा। यूं तो कासगंज लोधी राजपूत जाति की बाहुल्य सीट है। इसीलिए 1993 में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह इस सीट से चुनाव लड़कर जीते थे, लेकिन बाद में उन्होंने यह सीट खाली कर दी थी। इस सीट से सपा के मानपाल सिंह 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। वे तीन बार मुलायम सिंह मंत्रिमंडल में मंत्री बने थे उसी सीट पर मौजूदा चुनाव में एक बार फिर मानपाल सिंह चुनाव मैदान में हैं और उनके सामने भाजपा के प्रत्याशी देवेंद्र सिंह हैं जो मौजूदा विधायक हैं। लेकिन इस बार उनके लिए यह चुनावी समर आसान नहीं है। कल्याण सिंह से संबंधों के चलते वे चुनाव जीते थे लेकिन इस बार कल्याण सिंह मौजूद नहीं हैं। इस सीट पर बसपा ने पैराशूट से बॉबी नाम के प्रत्याशी को उतारा है। वह अपना अभी तक रंग नहीं जमा पाए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के लिए वोट बैंक का अकाल उनके आड़े आ रहा है।
सवाल 2017 के विधानसभा चुनाव का है उस चुनाव में देवेंद्र भाजपा प्रत्याशी थे तब उन्हें 1,01,908 मत मिले थे तो वहीं सपा टिकट पर लड़े हसरत उल्ला शेरवानी को 49878 वोट मिले थे। उस चुनाव में बसपा के अजय चतुर्वेदी को 37818 वोट मिले थे। सुधीर को 22250 वोट मिले थे।
कासगंज की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में कासगंज इकलौता है, जहां भाजपा और सपा में सीधी टक्कर है। हालांकि भाजपा के देवेंद्र मौजूदा विधायक है लेकिन विधानसभा इस बार पहुंचना उनके लिए आसान नहीं है। क्योंकि उनके सामने समाजवादी पार्टी ने बुजुर्ग प्रत्याशी मानपाल सिंह को उतार दिया है। वे लोधी हैं और उनके कासगंज क्षेत्र में लोगों से नजदीकी संबंध बहुत हैं। ऐसे में यह चुनाव काफी रोचक होने वाला है। मतदान 20 फरवरी को होगा 10 मार्च को पता चलेगा कि चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा?