आगरा। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने लखनऊ में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। लखनऊ बेंच ने मंगलवार को उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका खारिज होने के बाद एसटीएफ उनकी कभी भी गिरफ्तारी कर सकती है। कुलपति को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने पर उनसे जुड़े अधिकारी और प्रोफेसर भी तनाव में आ गए हैं।
कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के खिलाफ इंदिरा नगर थाने में डिजिटेक एजेंसी के प्रबंध निदेशक डेविड की ओर से तहरीर दी गई थी। बिल पास करने के नाम पर कमीशन लेने के आरोप लगाए थे। आरोप है कि कुलपति ने एक करोड़ 41 लाख रुपए कमीशन लिया है। यह रकम अपने खास अजय मिश्रा को देने के लिए कही थी। पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अजय मिश्रा के बाद कुलपति के दूसरे चेहते व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने लखनऊ हाई कोर्ट की बेंच में f.i.r. को चुनौती दी थी। इस पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
न्यायमूर्ति राजेश कुमार सिंह व न्यायमूर्ति विवेक सिंह की खंडपीठ ने कहा कि याची की ओर से ऐसा कोई तथ्य नहीं बताया जा सका जिसके आधार पर उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज किया जा सके। न्यायालय ने कहा कि चूंकि एफआईआर नहीं खारिज हो सकती लिहाजा याची को गिरफ्तारी से भी कोई राहत नहीं प्रदान की जा सकती। कुलपति को कोई राहत नहीं मिलने पर आंबेडकर विश्वविद्यालय के एक उच्चाधिकारी और कुछ प्रोफेसरों की हालत पतली हो गई है। आने वाले दिनों में उच्चाधिकारी की भी मुश्किलें बढ़ने की संभावनाएं हैं।