आगरा। एक युवक ने बीमा लेने के लिए 17 साल पहले एक भिखारी को अपने कपड़े पहनाकर गाड़ी में जलाकर मार दिया था। बीमा कंपनी से उसे बीमा भी मिल गया था। नवंबर में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। मुकदमा आगरा ट्रांसफर होकर आया था। रकाबगंज थाना पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
30 जुलाई 2006 को आगरा किला के सामने टक्कर रोड पर एक कार खंभे से टकराई थी। कार में भीषण आग लगी थी। ड्राइविंग सीट पर बैठा युवक जिंदा जल गया था। कार नंबर के आधार पर पुलिस ने भट्टा परसौल, दनकौर गौतमबुद्ध नगर निवासी विजय सिंह से संपर्क किया था। वह आगरा आए थे। कार अपने बेटे अनिल सिंह की बताई थी। शव की पहचान कराने में महिपाल और रामवीर ने गवाही दी थी। अनिल सिंह ट्रैवल एजेंसी चलाता था। उसका करीब 60 लाख रुपये का बीमा था। मृत्यु प्रमाण पत्र बनने के बाद बीमा राशि ली गई थी। अनिल सिंह वास्तव में मरा नहीं था। वह अहमदाबाद में रहने लगा था। अपना नाम बदल लिया था। राजकुमार चौधरी नाम से अपना आधार कार्ड बनवा लिया था। नई कार और ऑटो खरीद लिया था। गोपनीय शिकायत हुई थी। पुलिस ने अनिल सिंह को जिंदा पकड़ा था। उसके खिलाफ अहमदाबाद में धोखाधड़ी और हत्या की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि अहमदाबाद में दर्ज मुकदमा विवेचना के लिए आगरा भेजा गया था। रकाबगंज थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया गया। इंस्पेक्टर क्राइम को विवेचना दी गई। पुलिस टीम ने भट्टा पारसौल, दनकौर (गौतमबुद्ध नगर) में छानबीन शुरू की। पुलिस को जानकारी मिली कि घटना की साजिश में अनिल सिंह के पिता विजय सिंह, चाचा अभय सिंह, रामवीर शामिल थे। विजय सिंह और अभय सिंह ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती थी। पुलिस ने रामवीर सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेजा है। विजय पाल सिंह और अभय पाल सिंह वर्तमान में लोहिया नगर, गाजियाबाद में रहते हैं। इंस्पेक्टर रकाबगंज शैली राणा ने बताया कि अनिल सिंह को मृत दर्शाकर उसके पिता ने बीमा कंपनी से 56 लाख रुपये से अधिक का भुगतान लिया था। पुलिस के अनुसार इस मामले में सबसे पहले जून 2022 में नोएडा पुलिस से शिकायत हुई थी। नोएडा पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। बाद में शिकायत अहमदाबाद क्राइम ब्रांच से की गई थी। उनकी जांच में सनसनीखेज कांड का खुलासा हुआ था।