आगरा। कमला नगर थाना क्षेत्र के एक बुजुर्ग व्यक्ति को बदमाश बहला फुसलाकर तथा झांसा देकर उनकी अंगूठी लूट कर ले गए थे। पीड़ित का आरोप है कि जिस दिन घटना हुई उसके अगले दिन से बदमाशों की लोकेशन दरोगा के पास थी। वह उन्हें पकड़ने के लिए खर्चे के नाम पर 35 हजार रुपए मांगता रहा। पीड़ित ने पैसे नहीं दिए तो 6 महीने तक बदमाश नहीं पकड़े गए। पीड़ित के द्वारा कई बार की गई शिकायतों के बाद बदमाश पकड़े गए हैं, लेकिन जो खुलासा हुआ है वह पीड़ित के किसी काम का नहीं है। पीड़ित ने खुलासे को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। यह सवाल आने वाले दिनों में दरोगा के लिए मुसीबत बन सकते हैं।
न्यू सुभाष नगर के रहने वाले चंदन सिंह ने बताया है कि दो फरवरी 2024 को वह दोपहर लगभग 1:00 बजे कुछ सामान लेने के लिए अपने घर से सुभाष नगर चौराहा बाजार गए थे। वहां से घर वापस आ रहे थे। इस दौरान कुछ बदमाश उनके पास आए उन्हें बहला फुसलाकर तथा झांसा देकर उसकी 20 ग्राम की सोने की अंगूठी छीन ले गए थे। उन्होंने शोर मचाया और उनका पीछा किया तो वह तेजी से मोटरसाइकिल से भाग निकले। उन्होंने अपने साथ हुई घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर आ गई। घटना का सीसीटीवी फुटेज होने के बावजूद 24 घंटे बाद मुकदमा दर्ज किया गया। आरोप है कि दरोगा प्रशांत चौहान मुकदमा दर्ज कराने के लिए मना कर रहा था। लेकिन वह अड़ गए कि उनके साथ घटना हुई है। इसलिए मुकदमा दर्ज किया जाए। डीसीपी सिटी के आदेश पर 24 घंटे के बाद यह मुकदमा दर्ज हो सका। मुकदमा दर्ज होने के बाद उनसे दरोगा प्रशांत चौहान बोला बदमाशों की लोकेशन ट्रेस हो गई है। वह उत्तर प्रदेश के बाहर हैं। 35 हजार रुपए उन्हें पकड़ने के लिए लगेंगे। क्योंकि आने-जाने में डीजल का और होटल में रुकने का खर्चा होगा। उन्होंने पैसा देने से मना कर दिया। इसके बाद लोकेशन होते हुए भी बदमाश नहीं पकड़े गए, उनके द्वारा कई बार अधिकारियों से मौखिक शिकायत की गई। 14 जुलाई को उन्होंने अखबारों में पढ़ा की उनकी अंगूठी छीनने वाले बदमाश पकड़े गए हैं। पुलिस ने अंगूठी बरामद नहीं की। कुछ पैसे बरामद किए हैं। अधिकारियों ने बताया है कि पूछताछ में बदमाश जग्गू, हाकिम, कुलदीप, महेंद्र, करण ने बताया कि फरवरी महीने में कमला नगर के सुभाष नगर चौराहे पर सिंगल स्वीट के सामने से गुजर रहे सोने की अंगूठी पहन रहे एक बुजुर्ग से लिफाफा टिकट खुलवाकर इनाम जीतने के नाम पर उनकी पहनी हुई अंगूठी को बातों में उलझा कर धोखाधड़ी से चुरा लिया था। वह अंगूठी राह चलते व्यक्ति को 30 हजार रुपए में बेच दी थी और रुपए बराबर बराबर हिस्सों में बांट लिए थे। उन्होंने सवाल खड़े किए हैं कि वह इस बात पर जांच चाहते हैं कि उनकी डेढ़ लाख रुपए की सोने की अंगूठी बदमाशों ने सिर्फ 30 हजार में ही कैसे बेच दी थी? इसके साथ ही कोई राहगीर अपनी जेब में एक साथ 30 हजार लेकर क्यों चल रहा था? राहगीर ने बिना किसी ज्वेलर को दिखाए कि यह अंगूठी सोने की है या नकली है? यह जाने बिना 30 हजार रुपए कैसे दे दिए? पुलिस ने अपने खुलासे में यह भी कहा है कि 30 हजार में से 25 हजार रुपये बरामद कर लिए हैं। उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि 6 महीने में बदमाश 30 हजार रुपये में से पांच हजार ही खर्च कर पाए। उनका कहना है कि वह नहीं कह रहे हैं कि बदमाश असली पकड़े गए या फर्जी। उनका तो खुलासे को लेकर सवाल है। अगर दरोगा प्रशांत चौहान को उन्होंने उसी दौरान बदमाशों को पकड़ने के लिए उसके द्वारा मांगे गए पैसे दे दिए होते तो शायद उसी समय बदमाश पकड़े जाते और अंगूठी भी मिल जाती। 6 महीने बाद हुआ खुलासा उनके किसी काम का नहीं है। यह भी सवाल खड़ा किया है कि उनका तत्काल मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया गया। थानाध्यक्ष सोमेंद्र यादव का क्या पर्यवेक्षण रहा? उन्होंने जो सवाल खड़े किए हैं, उनकी किसी आईपीएस अधिकारी से जांच कराकर दरोगा प्रशांत चौहान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पीड़ित का कहना है कि दरोगा ने उन्हें एक भी बार बयान के लिए भी नहीं बुलाया ना ही बदमाशों के पकड़े जाने के बाद शिनाख्त करने के लिए। अधिकारियों ने मामले में जांच बैठा दी है और एसीपी हरीपर्वत आईपीएस आदित्य कुमार को जांच दे दी है। जो सवाल खड़े किए हैं उनसे विवेचक प्रशांत चौहान की मुसीबत बढ़ सकती हैं। उनके ऊपर कारवाई हो सकती है। दरोगा प्रशांत चौहान के बारे में बता दें उनके आवल खेड़ा चौकी प्रभारी रहते हुए पुलिस विभाग की काफी किरकिरी हुई थी जिसके चलते उन्हें लाइन हाजिर किया गया था।