ऋषि चौहान
एटा। ना किसी की हवा है ना किसी की लहर और ना ही किसी की आंधी। चुनाव प्रचार के इस दौर में जातीयता ही हावी है। पहले टिकट जातीय गणित के हिसाब से दिए गए फिर प्रचार में स्टार प्रचारकों को प्रत्याशियों के प्रचार में उतारा गया।
पहले राजनाथ सिंह अपनी जातियों को रिझाने के लिए कासगंज आये। फिर 11 फरवरी को पटियाली में मोदी ने मेगा रैली की। अगले दिन अखिलेश यादव एटा और अमापुर की सीटों पर प्रचार करने आए केशव देव मौर्य अलीगंज और एटा में सभा कर चुके हैं। कल स्वतंत्र देव सिंह भाजपा के लिए 4 विधानसभा क्षेत्रों में रोड शो और घर-घर वोट मांग चुके हैं। आज स्वामी प्रसाद मौर्य अलीगंज और एटा कासगंज में सभाएं कर वोट मांग रहे हैं। प्रचार का अब 1 दिन बचा है। कल संभव है अखिलेश यादव सपा के प्रचार में आ सकते हैं।
स्थिति यह है कि एटा और कासगंज की 7 विधानसभा सीटों पर सभी अपना अपना टैंपो हाई करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की पैमाइश कर अब शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में अपना रंग जमाने के लिए कोई रोड शो कर रहा है तो कोई रैलियां निकाल रहा है।
रोचक बात यह है कि आजादी के बाद जहां सवर्णों को चुनाव लड़ने का माहौल मौका ज्यादा मिलता था। अब एटा की 7 में से 6 सीटों पर पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों का बोलबाला है। जलेसर सुरक्षित सीट पर एससी के अलावा एटा की 6 विधानसभा क्षेत्रों पर पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी हावी है। एटा में लोधी समाज के डेबिट वर्मा तो सपा से जुगेंद्र सिंह यादव, बसपा से अजय यादव यह तीनों पिछड़े वर्ग के हैं। कांग्रेस ने सवर्ण प्रत्याशी गुंजन मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है। इसी क्रम में अलीगंज से सपा के टिकट पर रामेश्वर सिंह यादव तो बसपा से जुनैद मियां और भाजपा ने ठाकुर जाति के प्रत्याशी सत्यपाल सिंह राठौर को चुनाव मैदान में उतारा है। पटियाली में भाजपा ने पिछड़े वर्ग पर दांव लगाया है। यहां ममतेश शाक्य चुनाव लड़ रहे हैं तो बसपा ने सवर्ण प्रत्याशी नीरज मिश्रा पर दांव लगाया है। सपा से नाहिदा सुल्तान प्रत्याशी हैं तो अमापुर और कासगंज सीट पर पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी हावी हैं। यही हाल महारेरा का भी है।
प्रचार का कल अंतिम दिन बचा है इसी दिन विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की रणनीति जुलूस और रोड शो करने की है ताकि 20 फरवरी को होने वाले मतदान में वे मतदाताओं पर खासा रंग जमा कर उन्हें अपने पक्ष में वोटिंग करा सकें।
यह बताने की जरूरत नहीं के नामांकन के दौरान और बाद में पहला हफ्ता कोरोनावायरस बंदिशों के बीच बीता। 9 फरवरी को चुनाव आयोग की छूट मिलने के बाद जो वक्त बचा वह है सभी सातों सीटों पर प्रत्याशियों के लिए मतदाताओं तक पैमाइश करने के लिए कम था रोचक बात यह रही कि इस दौर में प्रत्याशी डोर टू डोर मतदाताओं से रूबरू हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी चुनावी सभाओं में लगातार दावे कर रहे हैं कि होली 17 मार्च को नहीं बल्कि 10 मार्च को ही हो जाएगी कमोबेश ऐसे ही दावे सपा प्रमुख अखिलेश यादव कर रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर होली का त्यौहार किस के रंग में सराबोर होगा भाजपा या सपा यह पता 10 मार्च को होने वाली मतगणना में ही चलेगा।