फिरोजाबाद। फिरोजाबाद की सदर सीट पर सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता है। इस बार भी मुस्लिम मतों में बिखराब की स्थिति है। समाजवादी पार्टी ने छुट्टन भाई को प्रत्याशी बनाया है। टिकट कट जाने पर पूर्व विधायक और सपा नेता अजीम भाई बागी हो गए, उन्होंने बसपा का टिकट पाकर अपनी पत्नी शाजिया को प्रत्याशी बनवा दिया है। यहाँ बता दें टिकट वितरण होने से पहले अजीम और छुट्टन जिगरी दोस्त थे। अजीम को दोस्त के साथ-साथ छुट्टन भाई का राजनीतिक गुरु भी कहा जा सकता है। दो जिगरी यार अब एक दूसरे के राजनीतिक दुश्मन हैं। दोनों एक दूसरे के खिलाफ आमने-सामने हैं।
फ़िरोज़ाबाद में मुस्लिम नेताओं में एक बड़ा नाम ख़ालिद नसीर का है। खालिद नसीर पूर्व विधायक नसीर उद्दीन सिद्दकी के पुत्र हैं। खालिद बसपा से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन एक बार भी जीत नहीं पाए। खालिद भी बसपा छोड़ कर सपा में टिकट की उम्मीद पर शामिल हुए थे। सपा ने न खालिद को टिकट दिया और न ही अजीम को। टिकट न मिलने से खालिद भी नाराज हैं। दो दिन पूर्व खालिद का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वो सपा पर खुलकर वादा खिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन वो किसका समर्थन करेंगे अभी पत्ते खोले नहीं है।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि दो दशक से मुस्लिम राजनीति अजीम और खालिद के ईद-गिर्द ही घूम रही है। अजीम मुस्लिमों में पठान वर्ग से आते है जबकि खालिद को शिशगर वर्ग का नेता माना जाता है। सदर सीट पर पठान वर्ग का वोट अधिक है। एक दशक से मुस्लिम वोटों का विभाजन हो रहा है, इसका लाभ भाजपा उठाती रही है। इस बार भी यही समीकरण बने हुए हैं, इससे भाजपा के कैंप में खुशी है।
उधर बदले हालातों के बीच मुस्लिमों का गैर राजनीतिक बुद्धजीवी वर्ग अभी से मुस्लिम मतों को एकजुट करने की कोशिश में जुट गया है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद एक पर्चा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। दावा किया जा रहा है कि यह पर्चा एक धर्मस्थल से बांटा गया है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई। पर्चे में कहा गया है कि अजीम, खालिद, छुट्टन एक हो जाएं। यानी सीधे तौर पर यह कहें कि मुस्लिम मतों का बिखराव रोकने की कवायद की गई है। मतदान के दिन तक यह कोशिश कितना रंग दिखाएगी इसका इंतजार कीजिए…।