फिरोजाबाद। जिले की सिरसागंज विधानसभा सीट पर भाजपा इस बार खाता खोलने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। यहां से भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव पर दांव लगाया है। मुलायम के समधी के जरिए भाजपा इस बार सिरसागंज को फतह करना चाहती है। उधर सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने सिरसागंज को अपनी निजी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। यादवों के इस गढ़ को वो हरहाल में जितना चाहते हैं। यहां से सपा ने सर्वेश यादव को प्रत्याशी बनाया है। पहले यहां से रामगोपाल के करीब संतोष यादव को टिकट मिलना था, लेकिन ऐन वक्त पर बदलाब किया गया।
मोदी लहर में भी 2017 के चुनाव में यहां से सपा के हरिओम यादव चुनाव जीते थे। जिले की पांच सीटों में से एक मात्र सिरसागंज ही सपा जीत पाई थी। तब इस जीत को हरिओम यादव के निजी प्रभाव और वजूद से जोड़ कर देखा गया था। उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री जयवीर सिंह को हराया था।
इस बार तो समीकरण पूरी तरह से बदले हुए हैं। हरिओम यादव ने अपने प्रमुख राजनीतिक विरोधी जयवीर सिंह से हाथ मिला लिया है। जिला पंचायत के चुनाव में दोनों की राजनीतिक दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। हरिओम यादव ने जयवीर सिंह की पुत्रवधू को जिला पंचायत का अध्यक्ष बना कर इस दोस्ती की पटकथा लिखी थी। बताते हैं तभी दोनों के बीच सियासी सौदा हुआ था कि जिला पंचायत जयवीर की और विधायकी हरिओम की। तभी सिरसागंज हरिओम के हवाले कर जयवीर मैनपुरी सदर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। यह दोस्ती और मुलायम सिंह यादव की रिश्तेदारी में दरार क्या गुल खिलाती है यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।