ऋषि चौहान
एटा। मौसम बेरहम है। वक्त कम है। सफर लंबा है। चुनावी दौर में सर्दी का सितम है उस पर कोरोना की तीसरी वेब का कहर प्रत्याशियों के लिए सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। कोरोना काल में चुनाव आयोग की पाबंदियां उस पर मौसम की मार प्रत्याशियों के लिए विधानसभा में पहुंचने की डगर को और भी मुश्किल बना रही है। हालात यह है कि सुबह से ही प्रत्याशी मतदाताओं से वोट की मनुहार करने के लिए उनके दरवाजे दरवाजे जा रहे हैं। रैलियों पर पाबंदी कोरोना की मुश्किल है और चुनाव आयोग की गाइडलाइन के चलते इस बार डोर टू डोर प्रचार करने के लिए प्रत्याशी मजबूर हैं। ऐसे में प्रत्याशियों ने अपने परिवारी जनों रिश्तेदारों समर्थकों और खासम खास लोगों को चुनावी रणभूमि में प्रचार के लिए उतार दिया है। इसीलिए जातीय हिसाब से गांव गांव प्रत्याशियों के रिश्तेदार समर्थक और परिजन वोट की गुहार करने के लिए दर-दर दस्तक देने के लिए मजबूर हैं। मतदाताओं की अपनी अपनी समस्याएं हैं और अपना अपना रोना है बावजूद इसके गांव में फसलों को बर्बाद करने वाली गायों को लेकर खासी बहस चल रही है। मुख्यमंत्री ने चुनाव बाद हर ग्राम स्तर पर एक गौशाला बनाने की घोषणा करके इस मुद्दे की हवा निकाल दी है। वोट की मनोहर के दौरान मौजूदा विधायकों से ग्रामीण और उनके समर्थक शिकायतें करना भी नहीं भूल रहे हैं उनका कहना है कि पूरे 5 साल अगर प्रत्याशी उनके नियुक्ति और हंसी खुशी के मौके पर आते रहते तो शिकायत नहीं होती।
एटा जिले की 4 विधानसभा क्षेत्रों मारहरा जलेसर अलीगंज और एटा सदर तथा कासगंज जिले की कासगंज अमापुर पटियाली विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 20 फरवरी को होना है। नामांकन प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है। चुनाव चिन्ह आवंटित नहीं हुए हैं। पर्चो की जांच अभी बाकी है बावजूद इसके कंबख्त में लंबा रास्ता तय करने के लिए प्रत्याशी और उनके रिश्तेदार मामा ताऊ भाई चाचा फूफा और कट्टर समर्थक इन दिनों मतदाताओं की गुहार कर रहे हैं।
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आगरा। ताजमहल के रखरखाव पर 'राजनीति' शुरू हो गई है। एआइएमआइएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी के बाद अब सपा के राष्ट्रीय...