आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के सभी खाते गुरुवार को सदर तहसील के अधिकारियों ने सीज कर दिए। खाते सीज करने के बाद उप श्रम आयुक्त के आदेश के अनुपालन में 10 लाख 98 हजार रुपए वह वसूल कर के ले गए। बताया जा रहा है कि उप श्रम आयुक्त के आदेश का पालन नहीं करने पर यह रिकवरी की गई है।
बता दें कि विश्वविद्यालय की ओर से माखन सिंह को डेली बेसिस पर रखा गया था। बाद में उन्हें विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया। विश्वविद्यालय के द्वारा निकाले जाने पर वह लेबर कोर्ट में गए। लेबर कोर्ट ने आदेश किया कि इनको गलत तरीके से निकाला गया है। दोबारा सेवा में रखा जाए और उनका वेतन दिया जाए। विश्वविद्यालय ने उन्हें दोबारा सेवा में नहीं रखा। लेबर कोर्ट के द्वारा तहसील को रिकवरी भेजी जाती रही जिसके बाद हर साल माखन सिंह विश्वविद्यालय से रिकवरी के माध्यम से वेतन वसूलते रहे। तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर डीएन जौहर ने देखा कि एक पूर्व कर्मचारी रिकवरी के माध्यम से पैसे ले रहा है तो उन्होंने जांच के लिए एक कमेटी बनाई। कमेटी की ओर से उनसे उनकी नियुक्ति से संबंधी दस्तावेज मांगे गए जो कि उन्होंने उपलब्ध नहीं कराए। इसके बावजूद उनकी सेवाएं खत्म नहीं की गई। इसके लिए तत्कालीन कुलसचिव केएन सिंह सवालों के घेरे में हैं। गुरुवार को उप श्रम आयुक्त के आदेश पर सदर तहसील के अधिकारी विश्वविद्यालय के सभी खाते सीज कर माखन सिंह के वेतन के 10 लाख 98 हजार रुपए ले गए हैं। बताया जा रहा है कि पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल के कार्यकाल में जिस अधिवक्ता को यह केस दिया गया था उन्होंने अच्छे तरीके से पैरवी नहीं की, जिस वजह से यह रिकवरी फिर से हो गई। विश्वविद्यालय के विधिक सलाहकार डॉ. अरुण कुमार दीक्षित का कहना है कि माखन सिंह की उम्र करीब 65 से 70 साल है। वह गलत तरीके से विश्वविद्यालय से पैसा ले रहे हैं। इसके खिलाफ अपील करेंगे। साथ ही माखन सिंह का मेडिकल भी कराया जाएगा।