बंगलुरू। कर्नाटक में हिजाब बैन का मामला अभी थमा भी नहीं था कि एक दूसरा मामला सामने आ गया है। अब मंदिरों में और मंदिर मेलों में मुसलमान दुकानदारों को दुकानें आवंटित करने पर रोक लगा दी गई है। मुस्लिम दुकानदार मंदिर मेलों में अपना सामान नहीं बेच सकते। यह मामला कर्नाटक विधानसभा पहुंचा तो बसवराज बोम्मई सरकार ने हाथ खड़े कर दिए। सरकार ने विधानसभा को सूचित किया था कि चूंकि नियम गैर-हिंदुओं को मंदिरों के पास व्यापार करने की अनुमति नहीं देते हैं, इसलिए वह मंदिर के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जिन्होंने मुस्लिम व्यापारियों और विक्रेताओं को बैन किया है।
राज्य के कानून मंत्री जे सी मधुस्वामी के अनुसार, कर्नाटक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 2002 के नियम संख्या 12 में कहा गया है कि हिंदू संस्थानों के पास स्थित भूमि, भवन या साइट सहित कोई भी संपत्ति गैर-हिंदुओं को पट्टे पर नहीं दी जाएगी। मंत्री ने कहा कि नियम 2002 में कांग्रेस सरकार ने ही बनाया था। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि नियम मंदिर परिसर के बाहर रेहड़ी-पटरी वालों पर लागू नहीं होता है।
शिवमोगा में ऐतिहासिक कोटे मरिकंबा जात्रा की आयोजन समिति ने कहा कि 22 मार्च से शुरू हुए पांच दिवसीय उत्सव के दौरान केवल हिंदू ही स्टॉल लगा सकते हैं। दक्षिण कन्नड़, उडुपी और शिवमोगा में विभिन्न मंदिरों में भी यह मुद्दा पहुंचा और गैर-हिंदुओं को दुकानें खाली करने और मंदिरों के बाहर व्यापार करने से रोकने के लिए कहा गया। इस पर कांग्रेस के एक पूर्व विधायक के अनुसार, अधिनियम के तहत नियम तत्कालीन कांग्रेस सीएम एसएम कृष्णा ने बनाया था। यह इसलिए बनाया गया था क्योंकि हिंदुओं को भी मस्जिदों या चर्चों के पास व्यापार करने की अनुमति नहीं थी।