आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में पढ़ाई का कोई माहौल नहीं रहा है। कहने को यहां स्थाई, संविदा और अतिथि प्रवक्ता मिलाकर 200 से ढाई सौ शिक्षक शिक्षिकाएं हैं, लेकिन फिर भी यहां कक्षाएं नहीं लगती हैं। इस वजह से छात्र-छात्राएं या तो कैंटीन में बैठे रहते हैं या मैदान में बैठकर टाइम पास करते रहते हैं। कक्षाएं नहीं लगने और पढ़ाई का माहौल नहीं रहने की बात चीफ प्रॉक्टर प्रो. मनु प्रताप सिंह ने उजागर की है।
चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर मनु प्रताप सिंह ने एक पत्र जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि पालीवाल पार्क, खंदारी परिसर, सिविल लाइन और छलेसर कैंपस में छात्र-छात्राएं कक्षा के समय कैंटीन व अन्य स्थानों पर बैठे रहते हैं। जोर-जोर से बातें करना व अनैतिक कार्य करते हैं, जिससे विश्वविद्यालय का शैक्षिक माहौल खराब होता है। प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों द्वारा निरीक्षण उपरांत विद्यार्थियों से इस संबंध में वार्ता की गई कि वह कक्षा में क्यों नहीं जाते हैं तो उन्होंने बताया कि उनके संस्थानों-विभागों में कक्षाएं नहीं चल रही हैं और ना ही पढ़ाई का कोई वातावरण है। संस्थानों व विभागों में अध्यापक पढ़ाने नहीं आते हैं। आप ही बताएं कि हम कक्षा में कैसे बैठें। चीफ प्रॉक्टर ने सभी निदेशक और विभागाध्यक्ष से कहा है कि वह यह देखें कि उनके यहां कक्षाएं सुचारू रूप से संचालित हो रही हैं या नहीं? उन्होंने यह भी कहा है कि अगर कक्षाएं नहीं चल रही हैं तो विंटर वेकेशन कर दिया जाए।
प्रोफेसर मनु प्रताप सिंह ने यह बातें लिखकर साबित कर दिया है कि विश्वविद्यालय में पढ़ाई का कोई माहौल नहीं बचा है। ऐसे में आने वाले समय में यहां छात्र-छात्राएं प्रवेश लेकर क्या करेंगे? वैसे भी तमाम घोटाले और फर्जीबाड़ों के चलते इस विश्वविद्यालय की छवि बहुत खराब हो गई है। आने वाले दिनों में कुछ नए निजी विश्वविद्यालय और खुलने वाले हैं। वर्तमान कुलपति के द्वारा ही दो जगहों का दौरा किया गया है। एक जगह पर तो कुछ है ही नहीं और विश्वविद्यालय बनाने के लिए आवेदन कर दिया गया है।
इधर दूसरी और कुलपति प्रोफेसर आशु रानी ने विश्वविद्यालय में चार्ज लेने के बाद बड़े-बड़े दावे किए थे। कुलपति ने कहा था कि वह शिक्षकों से हर सात दिन में उनका एकेडमिक रिपोर्ट कार्ड मांगेंगी। इस संबंध में उन्होंने एक मेल आईडी भी जारी किया था। लेकिन वास्तविकता में नतीजा सिफर रहा।