आगरा। भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 11वें से पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। अगले दो ढाई साल में भारत दुनिया के टॉप थ्री देश में शामिल हो जाएगा। यह भारत सरकार और सभी देशवासियों के सहयोग से संभव होगा। आज अपना देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है। यह कहना था रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के 57वें राज्य सम्मेलन में मुफीद-ए-आम इंटर कॉलेज में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को पहुंचे। उन्होंने कहा कि आज भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बहुत गंभीरता से लिया जाता है।
राजनीति में कथनी और करनी में अंतर
रक्षा मंत्री ने कहा, कि राजनीतिक क्षेत्र में रहकर किसी को गुमराह नहीं करना चाहिए। भारत की राजनीति में कथनी−करनी में अंतर से भरोसा कम हुआ है, हमने संभल कर काम किया। कहा, कि आश्वासन नहीं देता प्रयास करता हूं। वैज्ञानिकों के बाद आपसे मिलने आया हूं। शिक्षकों की भूमिका बताने की आवश्यकता नहीं, श्रीकृष्ण भी शिक्षक थे। राजनीति में आने से पहले मैं शिक्षक था। भले अब शिक्षक नहीं, पढ़ाने का क्रम टूटा है, लेकिन पढ़ाई जारी है।
शिक्षक अभी छवि, साख बनाकर रखें, धन से साख नहीं बढ़ती, काम से बनती है
शिक्षक की विशेषता समझता हूं और उसके तत्वों को अब भी नहीं छोड़ा है। उस समय जब शिक्षा मंत्री था तो मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। शिक्षकों ने मांग की, तो छह महीने में मांगें पूरी की, कोई अहसान नहीं था, अपना हक था वो दिया, दिया जाना था। पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, कि संगठन की कुशलता देखने लायक थी, क्या हनक थी। माध्यमिक शिक्षक संघ के शिक्षक अपनी चर्चा से विधान परिषद की चर्चा बदल देते थे। रक्षा मंत्री बोले, ओम प्रकाश शर्मा को याद कर भावुक हो रहा हूं, उनका संगठन के प्रति समर्पण अद्भुत था। आने वाली पीढ़ियों में बदलाव लाने का काम शिक्षक ही करता है। गुरु को कुम्हार, शिष्य को कुम्भ कहा गया है। शिक्षक अभी छवि, साख बनाकर रखें, धन से साख नहीं बढ़ती, काम से बनती है। उसे बनाकर रखें जिसे ऊंचा स्थान देते हैं तो जिम्मेदारी बढ़ जाती है। यदि राजनीतिक शक्ति है तो बड़ी जिम्मेदारी भी है।
शिक्षकों के साथ लिया राष्ट्र निर्माण के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने का संकल्प
रक्षा मंत्री के साथ केंद्रीय पंचायत राज राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल, शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी, प्रांतीय कोषाध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक मुकेश शर्मा मौजूद थे। रक्षा मंत्री ने शिक्षकों के साथ राष्ट्र निर्माण के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, कि जब मुख्यमंत्री था तब आखिरी बार सम्मेलन में आया था। पहली बार लंबे समय बाद परिवार से मिल रहा हूं।
सूचना देने और शिक्षित करने में बहुत अंतर है
राजनाथ सिंह ने कहा, कि सूचनाएं तुरंत मिल रही हैं एक क्लिक में, लेकिन सूचना देने और शिक्षित करने में बहुत अंतर है। सही विकल्प का चयन विवेक से होता है, जो शिक्षक पैदा करता है। पंडित दीन दयाल कहते थे कि बच्चों के व्यक्तित्व का समग्र विकास करना होगा, तन मन बुद्धि और आत्मा की आवश्यक्तायें और भूख शांत नहीं करेंगे तो सुखी नहीं होंगे। आत्मा जितनी बड़ी होगी, सुख आंनद की मात्रा बढ़ जाती है। आप किसी बच्चे का भविष्य बनाते है तो राष्ट्र का भविष्य बनाते हैं और उम्मीद है आप अपनी जिम्मेदारी अवश्य निभाएंगे। ज्ञान और विज्ञान में हम पारंगत हों लेकिन अपनी सांस्कृतिक विरासत व परम्परा से कटेंगे नहीं। यदि शिक्षकों को अपनी मांगों के लिए लड़ना पड़े तो अच्छा नहीं।
फैसला उत्तर प्रदेश की सरकार लेगी
रक्षा मंत्री ने कहा, कि जो जानकारी दी है, उसके साथ मुख्यमंत्री से मिलिए, यदि तर्कसंगत मांग है तो विचार अवश्य होगा, फैसला उप्र सरकार को लेना है। लेकिन मैं भी योगी से मिलकर बोलूंगा । जायज है तो योगी अवश्य पूरी करेंगे। नकल विरोधी कानून दो बार कैबिनेट से वापस हुआ, बच्चों को जेल नहीं भेजना था, लेकिन सख्त कदम उठाने थे। मैं नुकसान उठाने को तैयार था, देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। एयरपोर्ट पर रक्षा मंत्री का सांसद राजकुमार चाहर सहित सभी जनप्रतिनिधियों ने स्वागत किया। वह राज्यसभा सांसद नवीन जैन के आवास पर भी पहुंचे।