नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी कैबिनेट की मीटिंग में आज दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने की मंजूरी दे दी गई। 2012 में नगर निगम चुनाव से पहले दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में बांट दिया गया था। इसे तीन निगमों दक्षिण एमसीडी, उत्तर नगर निगम और पूर्वी नगर निगम में बांट दिया गया था। इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। समझा जाता है कि यदि तीनों नगर निगमों को एक कर दिया गया तो अरविंद केजरीवाल सरकार के सामने काम के अवसर काफी सीमित होंगे और सारे अधिकार इन निगमों के पास होंगे।
लगभग नौ साल पहले तक दिल्ली में एक ही नगर निगम था, लेकिन 2012 के निगम चुनाव से पहले दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया। उस वक्त तर्क दिया गया था कि ऐसा करने से नगर निगम के कामकाज में सुधार लाया जा सकेगा और ये प्रभावी तरीके से जनता को सेवाएं दे सकेंगी। लेकिन नगर निगम को विभाजित करने के बाद से ही नगर निगमों के कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, उलटे निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गए कि कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया। जिसकी वजह से निगम कर्मचारियों को कई बार हड़ताल पर जाना पड़ा।
2011 से 2012 के बीच नए स्थानीय निकाय बनाने पर मंथन चला। उस वक्त दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी और केंद्र में भी कांग्रेस नीत यूपीए सत्ता में थी। नगर निगम का बंटवारा दिसंबर 2011 में विधानसभा से पारित दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम के तहत किया गया। तीन भागों में बांटने के तीन-चार वर्ष बाद परेशानियां शुरू हुईं। राजस्व का बंटवारा ठीक से नहीं होने की वजह से नॉर्थ और ईस्ट नगर निगम वित्तीय संकट में फंस गए। पिछले छह सालों में इन दोनों निगमों में कई बार हड़ताल हुई।