-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। आगरा लोकसभा क्षेत्र और फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र पर इस बार चुनाव रोचक देखने को मिल सकता है। इस बार जीत पहले के मुकाबले उतनी आसान होती नहीं दिखाई दे रही है। क्योंकि मौजूदा सांसदों के लिए विरोध के स्वर कहीं ना कहीं इस तरीके से गूंज रहे हैं कि वह उन्हें भी महसूस हो रहे हैं। एक को बार-बार हाथ जोड़कर यह सफाई देनी पड़ रही है कि मैं इस बार कम आया था। आगे ज्यादा आ जाऊंगा। वहीं दूसरे को क्षत्रिय समाज को एकजुट करना भारी पड़ रहा है। हालांकि दोनों प्रत्याशी जीत के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं। दोनों के पास जीत का अनुभव भी है और विरोधियों से डर भी। अब चार जून को परिणाम आने के बाद ही पता चल सकेगा की जीत का सेहरा किसके सिर बंधा है।
आगरा लोकसभा सीट पर प्रोफेसर बघेल के खिलाफ क्षत्रिय समाज को किया जा रहा लामबंद
आगरा लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल के खिलाफ क्षत्रिय समाज को लामबंद किया जा रहा है। क्षत्रिय समाज के नेता और लोग गांव गांव जाकर प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को वोट नहीं देने के लिए नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं।
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एत्मादपुर विधानसभा और जलेसर विधानसभा क्षेत्र के लगभग सभी गांव में पहुंचकर क्षत्रिय समाज के लोग यही अपील कर रहे हैं कि इस बार प्रो. एसपी सिंह बघेल को वोट नहीं देना है। अब इनका विरोध कितना कारगर साबित होता है, यह चार जून को नतीजे आने के बाद ही पता चल सकेगा।
प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 211,546 वोटों से जीत हासिल की थी। वह वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उन पर एक बार फिर से विश्वास जताया है और उन्हें आगरा लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके लिए जनसभा कर चुके हैं। प्रोफेसर बघेल जीत के लिए लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। वह जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन क्षत्रिय समाज इस बार उनके लिए चुनौती बना हुआ है।
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क्षत्रिय समाज के लोग भारी संख्या में एत्मादपुर विधानसभा और जलेसर विधानसभा क्षेत्र के गांव गांव जाकर नुक्कड़ सभाएं कर यह बोल रहे हैं कि इस चुनाव में जो भी बटन दबे प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल के विरोध में दबे। यह भी कहा जा रहा है कि वह वोट डालने भी अवश्य जाएं। लेकिन इस बार प्रोफेसर बघेल को नहीं। 17 अप्रैल से लगातार नुक्कड़ सभाएं कर उनके खिलाफ वोट नहीं देने की अपील की जा रही है। आज भी जलेसर क्षेत्र के कई गांव में क्षत्रिय समाज के लोग पहुंचकर नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं। नुक्कड़ सभा में भारी संख्या में लोग उन्हें सुनने के लिए आ रहे हैं। क्षत्रिय समाज के विरोध में होने के चलते भाजपा की इस सीट पर चिंता की लकीरें भी बढ़ रही हैं। प्रोसेसर एसपी सिंह बघेल के खिलाफ नुक्कड़ सभा क्षत्रिय नेता चेतन चौहान, मनोज सिकरवार और हरेंद्र सिकरवार के नेतृत्व में हो रही हैं। इनके साथ विरोध में देवकीनंदन चौहान, नरेंद्र सिकरवार, देवेंद्र चौहान, मुरारी लाल चौहान, आशीष चौहान, रमेश जादौन, मुकेश जादौन, बबलू जादौन, रवि जादौन, राकेश परमार, राज बहादुर सिंह चौहान, संजय चौहान आदि भी शामिल हैं। सभी काफिले के साथ गांव में पहुंचते हैं और नुक्कड़ सभाएं करते हैं।
आगरा लोकसभा सीट से मुख्य पार्टियों के प्रत्याशियों पर डालें नजर
प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल- बीजेपी
पूजा अमरोही- बसपा
सुरेश चंद्र कर्दम – समाजवादी पार्टी
आगरा लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
1952 से लेकर 1971 तक आगरा सीट पर कांग्रेस का ही राज रहा था। यहां से लगातार पांच बार सेठ अचल सिंह सांसद बने थे। 1977 में इस सीट पर भारतीय लोकदल के शंभूनाथ चतुर्वेदी ने चुनाव जीता। 1980 में कांग्रेस पार्टी को फिर से लोगों ने चुनाव जिताया और निहाल सिंह को सांसद की कुर्सी मिली। 1984 में भी कांग्रेस के निहाल सिंह ही सांसद चुने गए। 1989 में जनता दल के अजय सिंह चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1991 से लेकर 1998 तक इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमाया और भगवान शंकर रावत सांसद चुने गए। 1999 के इलेक्शन में समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया और राज बब्बर ने चुनाव जीता। राजबब्बर 2004 में भी चुनाव जीते। एक बार फिर बीजेपी की किस्मत पलटी और 2009 से लेकर अब तक आगरा सीट पर पार्टी का कब्जा है।
जातीय समीकरण
आगरा लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, छावनी, एत्मादपुर, जलेसर हैं। कुल मतदाता 1904698 हैं। इनमें 864520 महिला और 1040090 पुरुष मतदाता हैं। जातीय समीकरण पर नजर डालें तो लगभग 3.15 लाख मतदाता वैश्य, अनुसूचित जाति के 2.80 लाख, मुस्लिम 2.70 लाख मतदाता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, हिंदू 80.69 फीसदी, मुस्लिम 15.37 फीसदी, जैन 1.04 फीसदी, सिख 0.62 फीसदी, ईसाई 0.19 फीसदी और बौद्ध 0.19 फीसदी हैं।
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फतेहपुर सीकरी सीट पर रामेश्वर चौधरी की बगावत बिगाड़ सकती खेल
फतेहपुर सीकरी सीट पर भाजपा ने राजकुमार चाहर को प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में राजकुमार चाहर ने राजबब्बर को करीब पांच लाख वोटो से हराया था। इस बार भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल के बेटे रामेश्वर चौधरी के द्वारा फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र की टिकट मांगी जा रही थी। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया और चुनावी मैदान में कूद गए। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उन्हें और उनके पिता को मनाने की काफी कोशिश की लेकिन मायूसी हाथ लगी। दोनों का एक ही कथन था कि राजकुमार चाहर की जगह किसी को भी टिकट दे दिया जाए तो नामांकन वापस ले लिया जाएगा। रामेश्वर चौधरी को गुरुवार को भाजपा से निष्कासित भी कर दिया गया है लेकिन उन पर इस बात का कोई असर नहीं है। वह और उनके पिता विधायक चौधरी बाबूलाल, राजकुमार चाहर को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रामेश्वर चौधरी के खड़े होने से भाजपा के लिए संकट यह है कि जाट वोट बैंक दो जगह बट रहा है। चौधरी बाबूलाल के बाद जाटों पर पूर्व मंत्री उदयभान सिंह की पकड़ मानी जाती है, लेकिन वह अपने नाती के चलते विवादों में घिरे हुए हैं। इसके अलावा उनके लिए रामनाथ सिकरवार उर्फ फौजी बाबा भी चुनौती के रूप में है। क्योंकि काफी संख्या में क्षत्रिय समाज के लोग उनके साथ दिखाई दे रहे हैं। रामनाथ का बढ़ता काफिला और रामेश्वर चौधरी की चाहर से बगावत लगातार भाजपा प्रत्याशी की चिंता बढ़ाये हुए है। रामनाथ सिकरवार के लिए आज कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने रोड शो किया है। इधर राजकुमार तूफानी जनसंपर्क कर रहे हैं। उनके पास जीत का अनुभव तो है लेकिन अपनों की कमी भी है। वह जगह-जगह जनसभाएं कर वह बोल रहे हैं कि इस बार भी जनता उन्हें पहले की तरह अपना स्नेह दे। वह यह वायदा भी कर रहे हैं कि मैं पिछली बार कम आया था। यह आप लोगों की शिकायत है, लेकिन इस शिकायत को दूर कर दूंगा। इस बार ज्यादा आ जाऊंगा। उनके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सभा कर चुके हैं। आज डिप्टी सीएम बृजेश पाठक भी आए। राजकुमार चाहर जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे या नहीं यह चार जून को ही पता चल सकेगा।
प्रत्याशियों पर डालें नजर
राजकुमार चाहर- भाजपा
रामनाथ सिकरवार- कांग्रेस
रामनिवास- बसपा
रामेश्वर चौधरी- निर्दलीय
फतेहपुर सीकरी सीट का इतिहास
फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो 2008 में परिसीमन के बाद फतेहपुर सीकरी सीट अस्तित्व में आई और यहां पर साल 2009 में पहली बार चुनाव हुआ। इस चुनाव में बीएसपी ने पहली जीत के साथ अपना खाता खोला था। बीएसपी के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय ने तब कांग्रेस के राज बब्बर को हराया था। बीजेपी तीसरे स्थान पर रही थी। साल 2014 के चुनाव में मोदी लहर में यह सीट भी बीजेपी के खाते में आ गई। बीजेपी के उम्मीदवार बाबूलाल चौधरी ने बीएसपी की उम्मीदवार और सांसद सीमा उपाध्याय को 1,73,106 मतों से अंतर से हराया था। तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी रही थी। प्रदेश की राजनीति के चर्चित चेहरों में से एक अमर सिंह राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन वह चौथे नंबर पर रहे थे। साल 2019 के चुनाव में बीजेपी को फिर यहां से जीत मिली और राजकुमार चाहर ने 4,95,065 मतों के अंतर से चुनाव जीता था।
फतेहपुर सीकरी का जातिगत समीकरण
फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर 2019 के चुनाव के समय करीब सवा 3 लाख लोग क्षत्रिय वोटर्स थे जबकि 2.50 लाख से अधिक ब्राह्मण वोटर्स, करीब दो लाख जाट वोटर्स, पौने दो लाख लोधी वोटर्स के अलावा 1.40 लाख के करीब जाटव वोटर्स थे। यहां कुशवाहा और वैश्य के वोटर्स के साथ-साथ मुस्लिम वोटर्स भी मजबूत स्थिति में हैं।