आगरा। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एक जमीन का भूस्वामी नहीं है। फिर भी वहां बिल्डिंग बना दी गई। विश्वविद्यालय के भूस्वामी नहीं होने की वजह से आगरा विकास प्राधिकरण से जमीन का नक्शा भी पास नहीं हुआ है। आज इस बिल्डिंग का उद्घाटन होने जा रहा है। बिल्डिंग को विवादित देख इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष ने कुलपति से सुबह आवास पर जाकर मना कर दिया है वह वहां शिफ्ट नहीं होंगे। इधर आईटीएचएम और ललित कला संस्थान के यहां शिफ्ट होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
पूर्व कुलपति अरविंद कुमार दीक्षित ने करीब 40 से 50 करोड़ की लागत से सिविल लाइन में बिना आगरा विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराए संस्कृति भवन का निर्माण करवाया था। मामले में विजिलेंस, शासन, राजभवन में शिकायत हुई थी। विजिलेंस जांच अभी जारी है। आगरा विकास प्राधिकरण से बिल्डिंग का नक्शा भी पास नहीं हुआ है। विशेष सचिव उच्च शिक्षा ने भी विश्वविद्यालय को जमीन का कानून मालिक बनने के बाद ही यहां विभाग शिफ्ट करने के लिए कहा था। आज दोपहर में संस्कृति भवन का उद्घाटन होने जा रहा है। यहां इतिहास, ललित कला और आईटीएचएम शिफ्ट होने थे। बिल्डिंग को विवादित देख इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुगम आनंद ने कुलपति से मना कर दिया कि वह वहां शिफ्ट नहीं होंगे। हालांकि कुलपति ने उनसे यह भी कहा कि उनकी राजस्व और आगरा विकास प्राधिकरण में बात हो गई है। मार्च तक नक्शा पास हो जाएगा। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जब विश्वविद्यालय जमीन का भूस्वामी ही नहीं है तो नक्शा कैसे पास हो जाएगा? बताया जा रहा है कि कुछ प्रोफेसरों द्वारा कुलपति को भ्रमित कर उन्हें उलझाया जा रहा है।
इधर विश्वविद्यालय के कई अधिकारी बिल्डिंग का उद्घाटन होने से घबराए हुए हैं। वह सोच रहे हैं कहीं यह मामला भविष्य में कहीं उनके गले की फांस ना बन जाए। पूर्व में कई अधिकारी कई जांचों में लपेटे में आए हुए हैं। दो पूर्व कुलपतियों के खिलाफ तो एफआईआर दर्ज हो रखी है। एक कुलपति भ्रष्टाचार में फंस चुके हैं।