आगरा/नई दिल्ली। यूक्रेन संकट पर भारत ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं। यही कारण था कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की निंदा वाले प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया। वह इस संकट में बीच का कोई रास्ता निकालने की कोशिशों में जुटा है। वह बातचीत और कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए सभी संबंधित पक्षों तक पहुंचने का विकल्प खुला रखना चाहता है।
सुरक्षा परिषद में रूस की निंदा वाला प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था। यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित नहीं हो सका क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने इस पर वीटो किया। किसी भी निगेटिव वोट को परिषद में वीटो के रूप में जाना जाता है और पांच स्थायी सदस्यों का मतलब एक असफल संकल्प है। भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात रूसी हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे। इस प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विपक्ष में एक वोट पड़ा। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस परिषद के स्थायी सदस्य हैं और उनके पास वीटो का अधिकार है। भारत इसका स्थायी सदस्य नहीं है और उसका दो साल का मौजूदा कार्यकाल इस साल खत्म हो रहा है। भारत अपने उस रुख पर कायम है कि सभी मतभेदों का एकमात्र हल बातचीत के जरिए संभव है।